हैरानी वाली बात ये है कि इनमें किसी खिलाड़ी को तो फेयरवेल मैच भी नसीब नहीं हुआ।
ये हैं वो खिलाड़ी
हाशिम अमला
दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान हाशिम अमला दशक के महान खिलाड़ियों में से एक हैं। दक्षिण अफ्रीका के लिए अमला ने कई बार कई बड़े मंचों पर मैच जिताऊ पारियां खेली हैं। अमला ने अगस्त 2019 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा था। 15 साल के करियर में, अमला ने 124 टेस्ट खेले, जिसमें उन्होंने 49.97 की औसत से 9282 रन बनाए, जिसमें 28 शतक शामिल हैं और 41 अर्द्धशतक। इसके अलावा उन्होंने 181 वनडे मैच भी खेले, जिसमें उन्होंने 49.47 के अविश्वसनीय औसत से 8113 रन बनाए।
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जेपी डुमिनी
दक्षिण अफ्रीका का एक और ये खिलाड़ी अक्सर टीम के मुश्किल वक्त में काम आता था। विश्व कप 2019 के दौरान ही जेपी डुमिनी ने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया था। उन्होंने कहा था, “मैं पिछले कुछ महीनों से इस पर विचार कर रहा हूं और मैंने फैसला किया है कि यह आखिरी होगा।” उन्होंने कहा, “15 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक बड़ी राहत और सराहना मिली है। मैं इतने सालों में इतने महान क्रिकेटरों के साथ खेलकर धन्य हो गया।” डुमिनी ने अपने करियर में 46 टेस्ट मैच खेले, जिसमें 32.85 की औसत से 2103 रन बनाए। वहीं डुमिनी ने 199 वनडे मैच भी खेले, जिसमें उन्होंने 36.81 की औसत से 5117 रन बनाए।
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युवराज सिंह
भारत को 2011 वर्ल्ड कप और 2007 टी20 वर्ल्ड कप जिताने में अगर किसी खिलाड़ी की सबसे अहम भूमिका थी तो वो टीम इंडिया के ऑलराउंडर युवराज सिंह थे। युवराज सिंह भारत के बहुत बड़े मैच विनर थे। उन्होंने बल्ले और गेंद दोनों से कई बार टीम को हार हुए मैच जिताए, लेकिन इस खिलाड़ी के साथ नाइंसाफी बहुत हुई। दरअसल, युवराज ने जून 2019 में संन्यास की घोषणा की थी। युवराज ने वैसे तो जून 2017 में आखिरी इंटरनेशनल मैच खेला था, लेकिन रिटायरमेंट उन्होंने 2 साल के बाद ली। इन दो सालों तक उन्हें टीम में आने की उम्मीद थी, लेकिन युवराज को चयनकर्ताओं ने एक फेयरवेल मैच तक खेलने का मौका नहीं दिया। युवी के फैंस को ये नाइंसाफी ही लगी। खुद युवराज भी इस बात से दुखी थी।