अपने कॉलम में साल 2007 को याद करते हुए सहवाग ने लिखा है कि जब उन्होंने पहली बार यह सुना कि सौरव गांगुली बीसीसीआई अध्यक्ष बनने जा रहे हैं तो उन्हें 2007 की वह घटना याद हो आई, जब टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर थी। यह बात केपटाउन टेस्ट मैच की है, वह और वसीम जाफर बतौर ओपनर जल्दी आउट हो गए थे। नंबर चार बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर किसी कारणवश मैदान पर नहीं उतर सके तो अचानक ही सौरव गांगुली को नंबर 4 पर बल्लेबाजी के लिए भेज दिया गया। यह उनकी कमबैक सीरीज थी और उन पर अच्छा प्रदर्शन कर अपनी वापसी को सही साबित करने का जबरदस्त दबाव था। लेकिन जिस तरह से बल्लेबाजी कर दबाव और सभी चिंताओं से खुद को और टीम को मुक्त किया, वह सिर्फ वही कर सकते थे।
सहवाग ने आगे लिखा है कि उनकी शानदार बल्लेबाजी का नजारा देख उस दिन ड्रेसिंग रूम में बैठे हम सभी खिलाड़ी इस बात पर एकमत थे कि अगर हममें से कोई एक किसी दिन बीसीसीआई का अध्यक्ष बन सकता है तो वह सिर्फ गांगुली ही हो सकते हैं, तब उन्होंने कहा था कि बस इतना ही, वह एक दिन अपने गृहराज्य पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। उन्होंने लिखा कि एक भविष्यवाणी पूरी हो गई और अब उन्हें दूसरे के पूरे होने का इंतजार है।