ढाई साल तक बांग्लादेश टीम के साथ जुड़े रहे हैं
सुनील जोशी ने गेंदबाजी कोच के लिए अपने आवेदन करने की पुष्टि करते हुए कहा कि बांग्लादेश के साथ ढाई साल के सफल कार्यकाल के बाद वह अगली चुनौती के लिए तैयार हैं। 49 साल के सुनील जोशी का क्रिकेट विश्व कप के बाद बतौर स्पिन कोच बांग्लादेश के साथ करार खत्म हो चुका है। उनकी कोचिंग के दौरान बांग्लादेश के लिए मेहदी हसन मिराज, मोसाद्देक हुसैन और शाकिब अल हसन जैसे स्पिन गेंदबाजों ने काफी कामयाबी हासिल की है।
सुनील जोशी ने कहा कि आजकल ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय टीमों अपने साथ हर क्षेत्र की विशेषज्ञ सहयोगी रखती हैं। मामला चाहे तेज गेंदबाजी कोच का हो या फिर स्पिन गेंदबाजी कोच का। टीम इंडिया को भी एक स्पिन गेंदबाजी कोच की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वह हों या न हों, लेकिन टीम में किसी का होना जरूरी है। बता दें कि 2017 चैम्पियंस ट्रॉफी के बाद से टीम इंडिया के पास ऐसा कोई सहयोगी मौजूद नहीं है, जो स्पिनर्स की समस्याएं सुलझा सके। 2017 में विराट कोहली से विवाद के बाद मुख्य कोच अनिल कुंबले इस पद से हट गए थे।
स्पिन गेंदबाजी कोच की भूमिका अहम
सुनील जोशी ने कहा कि भारतीय टीम के साथ लंबे समय से कोई स्पिन गेंदबाजी कोच नहीं है। ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि उनकी विशेषज्ञता पर विचार होगा। स्पिन गेंदबाजी कोच की भूमिका पर उन्होंने कहा कि अगर कोई टीम ऐसा सोचती है कि उसे स्पिन गेंदबाजी कोच की जरूरत नहीं है तो यह सोच गलत है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अगर आप स्पिनर के तौर पर जल्द परिपक्व नहीं होते तो टीम से बाहर हो सकते हैं। आपको अपनी प्रतिभा और कौशल को लगातार निखारते रहने की जरूरत होती है।
सुनील जोशी कोचिंग देने से पहले जोशी ने 1996 से 2001 के बीच भारतीय टीम के लिए खेल चुके हैं। उन्होंने 15 टेस्ट मैचों में 35.85 की औसत से 41, जबकि 69 वनडे मैचों में 36.36 की औसत से 69 विकेट लिए हैं। घरेलू क्रिकेट में कर्नाटक की ओर से खेलने वाले इस दिग्गज का प्रथम श्रेणी रिकॉर्ड बहुत शानदार है। उन्होंने 160 मैचों में 25.12 की औसत से 615 विकेट चटकाए हैं। अब भारतीय टीम में गेंदबाजी कोच के लिए उनका मुकाबला भरत अरुण से होगा और अपनी कोचिंग अनुभव और बतौर क्रिकेटर अपने प्रदर्शन की वजह से वह उन्हें कड़ी टक्कर दे सकते हैं। कर्नाटक का यह दिग्गज अनिल कुंबले के साथ खेल चुका है।