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मैच से पहले खेलने लगते थे दिगामी मैच
सचिन तेंदुलकर ने हाल ही एक कार्यक्रम में बताया, ‘कॅरियर की शुरुआत में 10-12 साल तक मैच से पहले मैं बहुत मानसिक तनाव में रहता था। मैदान में प्रवेश करने से पहले ही मैं दिमागी मैच खेलना शुरू कर देता था। इसके बाद मैंने धीरे-धीरे महसूस किया कि शारीरिक रूप से तैयारी के साथ मानसिक रूप से भी तैयार रहना होगा। बदलते समय के साथ फिर मैंने इसे अपनी आदत बना लिया। मेरे साथ मैच से पहले कई बार ऐसा हुआ था कि मैं रात को ठीक से सो नहीं पाता था। इसके बाद मैंने अपने दिमाग को सहज रखने के लिए अलग-अलग तरीके निकाले और मैंने स्वीकार कर लिया कि यह मेरी मैच की तैयारी का एक हिस्सा है।’
एक दिन पहले ही कर लेता था बैग तैयार
सचिन ने बताया कि मैं अपने दिमाग को स्थिर रखने के लिए मैच से एक दिन पहले ही अपना बैग तैयार करने में लग जाता था। यह मेरी एक आदत सी बन गई थी। मुझे मैच से पहले चाय बनाने, कपड़े इस्त्री करने जैसे कार्यों से भी खुद को खेल के लिए तैयार करने में मदद मिलती थी। ये सब मेरे भाई ने मुझे सिखाया था। धीरे—धीरे ये मेरी आदत बन गई और मैंने भारत के लिए खेले गए अपने आखिरी मैच में भी ऐसा ही किया था।
अच्छे-बुरे दौर से गुजरना सामान्य बात
सचिन ने कहा कि एक खिलाड़ी को अच्छे और बुरे दोनों दौर से गुजरना पड़ा है। लेकिन जरूरी नहीं है कि वह बुरे समय को स्वीकार करें। उन्होंने कहा, ‘जब आप चोटिल होते हैं तो चिकित्सक या फिजियो आपका इलाज करते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के मामले में भी ऐसा ही है। किसी के लिए भी अच्छे-बुरे समय का सामना सामान्य बात है। इसके लिए आपकों चीजों को स्वीकार करना होगा। यह सिर्फ खिलाड़ियों के लिए नहीं है बल्कि जो उसके साथ है उस पर भी लागू होती है। जब आप इसे स्वीकार करते है तो फिर इसका समाधान ढूंढने की कोशिश करते हैं।’
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होटल कर्मचारी की वजह से चोट से उबर सका
सचिन ने बताया कि मैं टेनिस एल्बो की समस्या से परेशान था और एल्बो गार्ड की वजह से मेरा बल्ला पूरी तरह नहीं चल रहा था। एक दिन होटल में एक कर्मचारी मेरे रूम में डोसा लेकर आया और उसे टेबल पर रखने के बाद उन्होंने मुझे इस समस्या से निजात पाने के लिए उपाय बताया और मैं इस समस्या से उबर गया। गौरतबल है कि सचिन तेंदुलकर ने अपने 24 साल के क्रिकेट कॅरियर में शतकों का शतक लगाया था।