महेंद्र सिंह धोनी से हो रही तुलना पर उन्होंने कहा कि वह तो इस बारे में सोचते ही नहीं। यह काफी मुश्किल है। यदि वह उन्हीं से सीख रहे हैं तो रातोरात उनके बराबर खड़ा होने के बारे में कैसे सोच सकते हैं। उन्होंने कहा कि धोनी को वह अपना मेंटर मानते हैं। धोनी ने कई सारी चीजें उन्हें सिखाई हैं। बल्लेबाजी और बल्लेबाजी पर जाने से पहले माइंडसेट कैसा होना चाहिए और सबसे जरूरी बात यह कि दबाव के पलों में शांत कैसे रहना है। उन्होंने कहा कि धोनी ही नहीं, उनके आसपास जितने भी लोग, खासकर सीनियर्स हैं, वह सबसे सीखना चाहते हैं। 21 साल की उम्र में अगर वह यह सोचना शुरू कर दें कि धोनी की जगह लेनी है तो मुश्किल हो जाएगी। वह बस चीजों को आसान रखना चाहते हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हैं।
वृद्धिमान साहा के चोटिल होने के कारण 2017 में पंत ने कदम रखा था। शुरुआती दौर में टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने अच्छा किया, लेकिन विंडीज दौरे पर पूरी तरह फ्लॉप रहे। शॉर्टर क्रिकेट की बात करें तो उन्होंने वनडे और टी-20 दोनों में अभी तक निराश ही किया है। इस वजह से लोग मानते हैं कि पंत बहुत जल्दी टीम इंडिया में आ गए। इस पर तल्ख लहजे में पंत ने कहा कि एक खिलाड़ी को जल्दी मौका मिलना अच्छी बात है और उन्हें कुछ भी यूंही नहीं मिल गया है। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है। बतौर गिफ्ट किसी ने उन्हें यह जगह नहीं दी है। कोई यह नहीं बोलता कि भाई टीम में आजा। ऐसा नहीं होता। सीधी सी बात है कि आप अच्छा नहीं करेंगे तो नहीं चुने जाएंगे। सबको साबित करना पड़ता है।