जब हम खुशी में रोए थे…
प्रीति ने लिखा… जब मैंने उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस देखी तो मेरे जहन में पिछले 13-14 सालों की यादों के छोटे-बड़े पल आ गए। जैसे बड़ी जीत, प्लेयर ऑफ द सीरीज अवार्ड, एक इंटेंस गेम के बाद का सन्नाटा, गेम के बाद कुछ शाम सामान्य से ज्यादा चलने वाली शॉवर की आवाज, कागज पर उनके विचारों को लिखना, गेम प्लानिंग के समय फुटेज वीडियो की स्ट्रीमिंग, हर मैच के लिए जाते समय मीडिएटिव ब्रीथिंग की शांति, उनके आराम के समय कुछ गानों का बार-बार बजना, वो समय जब हमारी आंखें खुशी भीगी थीं। चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल के बाद, एमसीजी में जीत के बाद, सिडनी ड्रॉ के बाद, गाबा में जीत के बाद, टी20 क्रिकेट में वापसी के बाद और वो समय जब हम चुपचाप बैठे थे या फिर वो वक्त जब हमारा दिल टूटा था।आपने मुझे जो दुनिया दिखाई…
प्रीति ने लिखा… प्रिय अश्विन, दुनियाभर के मैदानों में आपको फॉलो करना, आपका उत्साह बढ़ाना, आपको देखना, आपसे सीखना ये सब परम आनंद था। आपने मुझे जो दुनिया दिखाई, उसने मुझे ऐसे खेल को देखने और उसका लुत्फ लेने का सौभाग्य दिया, जिसे मैं बेहद करीब से प्यार करती हूं। साथ ही मैंने ये भी सीखा कि खेल के लिए कितना जुनून, कड़ी मेहनत और कितने अनुशासन की जरूरत होती है और कभी-कभी ये भी पर्याप्त नहीं होता।हां मुझे याद है…
प्रीति ने आगे लिखा… हां मुझे याद है कि हम बात कर रहे थे कि आपको ये सब क्यों करना पड़ा। अगर आप लगातार स्किल को धार नहीं देते और काम नहीं करते तो प्रशंसा, पुरस्कार, प्लेयर ऑफ द मैच और रिकॉर्ड के कोई मायने नहीं हैं। अब आप अपने इंटरनेशनल करियर को समाप्त कर रहे हैं तो मैं आपको सिर्फ इतना कहना चाहूंगी कि ये सब अच्छा है। सब अच्छा होगा। ये समय है कि आप अपने होने का बोझ उतार दें और अपनी शर्तों पर ही जिंदगी जिएं। एक्स्ट्रा कैलोरी के लिए जगह बनाएं, परिवार के लिए वक्त निकालें, कुछ भी न करने के लिए समय निकालें, दिन भर मीम्स शेयर करें, नया बॉलिंग वैरिएशन बनाएं, बच्चों को परेशान ना करें। बस ये सब करें।