टीम से बाहर होना पड़ा
अश्चिन ने बताया यकि वह सोचते थे कि प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैचों की तुलना में टी-20 क्रिकेट में गेंदबाजी करना ज्यादा आसान है। यह 2010 की बात है। यह रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर के खिलाफ चेन्नई का मैच था। इसमें रॉबिन उथप्पा और मार्क बाउचर ने मिलकर उनकी गेंदों की जमकर धुनाई कर दी। इन दोनों ने मिलकर उन्हें कड़ा सबक सिखाया। अश्विन ने कहा कि उस समय वह युवा थे, उन्हें 14वां, 16वां, 18वां और 20वां ओवर करने का मौका मिला था। उनके लिए यह चुनौती थी। उन्हें लगा कि विकेट हासिल करने का यह अच्छा मौका है। इस मैच में उन्हें विकेट तो मिला नहीं, ऊपर से 40 या 45 रन लुटाकर टीम को परेशानी में भी डाल दिया। इसके बाद का मैच सुपर ओवर तक खिंचा। इसमें भी उनकी टीम को हार मिली। इसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। अश्विन ने उस अनुभव को शेयर करते हुए कहा कि उन्हें लगा कि जैसे किसी ने उन्हें करारा तमाचा जड़ दिया हो।
घर बैठकर देखना पड़ा मैच
अश्विन ने बताया कि तब आईपीएल फ्रेंचाइजी घरेलू मैचों में भी होटल का खर्च की लागत बचाने के लिए सिर्फ शीर्ष 18 खिलाड़ियों को ही टीम में रखती थी। इस कारण उन्हें होटल छोड़ना पड़ा और घर में बैठकर अपनी टीम सीएसके के मैच देखने पड़े। अश्विन ने कहा कि उन्हें लगा कि वह इससे बेहतर के हकदार थे, क्योंकि वह वेस्ट इंडीज में होने वाले टी-20 विश्व कप के लिए 30 संभावितों में चुने गए थे। बता दें कि हालांकि बाद में अश्चिन विश्व कप की टीम में भी अपना स्थान नहीं बना पाए थे। अश्विन ने कहा कि सीएसके के कोच स्टीफन फ्लेमिंग उनसे नाराज थे। इस वजह से टीम प्रबंधन ने उनका पक्ष नहीं लिया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इससे पहले के तीन तीन मैचों में उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा था। सिर्फ इसी दो मैच में वह अच्छा नहीं कर पाए थे। इसके बावजूद उन्हें बाहर जाना पड़ा तो इसका एक ही कारण था कि कोच फ्लेमिंग से उनके अच्छे संबंध नहीं थे। अश्विन ने कहा कि कोच ने उनसे बात तक नहीं की थी। तब वह घर बैठकर सीएसके का मैच देखते हुए खुद से वायदा कर रहे थे कि वह एक दिन इसे बदलकर रख देंगे।
बाद में बने टीम इंडिया के नंबर वन गेंदबाज
तब से लेकर अब तक अश्विन ने लंबा सफर तय कर लिया है। 33 साल का यह खिलाड़ी इसके कुछ समय बाद टीम इंडिया का नंबर वन गेंदबाज बना। उन्होंने अब तक 71 टेस्ट में 365 विकेट लिए हैं। हालांकि इतना प्रभावशाली रिकॉर्ड के बावजूद दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के सरजमीन पर उनका आंकड़ा ज्यादा प्रभावशाली नहीं है। इस पर बात करते हुए अश्विन ने कहा कि उन्होंने इंग्लैंड में जितने मैच खेले हैं। इससे उन्हें इस बात का अहसास हो गया है कि एक स्पिनर के लिए विषम परिस्थितियों में गेंदबाजी करते हुए घरेलू परिस्थितियों जैसा रिकॉर्ड रखने के लिए सही समय पर गेंदबाजी करने और थोड़ा भाग्य की जरूरत होती है।
जडेजा को बताया नैसर्गिक खिलाड़ी
रविचंद्रन अश्विन ने लेफ्ट आर्म स्पिनर जडेजा को नैसर्गिक तौर पर फिट खिलाड़ी बताया। उन्होंने कहा कि जडेजा को फिट रहने के लिए अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पड़ता है। अश्विन ने कहा कि अगर वह दिन में दो बार भी अभ्यास करते हैं और इसके बाद अच्छी कैलोरी वाला भोजन कर लें तो उनकी फिटनेस गड़बड़ हो जाती है। कुछ लोगों को ईश्वर का आशीर्वाद होता है। जडेजा उनमें से एक हैं। वह शारीरिक तौर पर बेहद फिट खिलाड़ी हैं। इतना ही नहीं, वह नैसर्गिक गेंदबाज और नैसर्गिक बल्लेबाज भी हैं।