एक मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि एक सुबह वह रिवॉल्वर लेकर घर से निकले और कार को हरिद्वार हाईवे की ओर ले गए। टीम इंडिया से बाहर होने बाद वापसी न कर पाने के कारण वह अवसाद में चले गए थे। लेकिन अपने परिवार और बच्चों के ख्याल ने रोक लिया। उन्हें लगा कि वह अपने बच्चों के साथ ये नहीं कर सकते। उन्हें इस दर्द से गुजरने के लिए वह मजबूर नहीं कर सकते।
संन्यास के बाद गहरे अवसाद में चले गए थे
2014 में टीम इंडिया और फिर आईपीएल में भी किसी टीम के न खरीदने के बाद डिप्रेशन उन पर असर करने लगा था, लेकिन संन्यास के बाद तो स्थिति और खराब हो गई। वह मेरठ स्थित घर में घंटों बैठकर अपनी गेंदबाजी के वीडियोज देखते रहते थे। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि उनके साथ साथ क्या हो रहा है। उनके दिमाग में साथ-साथ यह भी ख्याल चलता रहता था कि भारत में किसी को डिप्रेशन नहीं होता है। प्रवीण कुमार ने 2018 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया था। अब वह नियमित तौर डिप्रेशन की दवा ले रहे हैं और इलाज करवा रहे हैं।
भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर ऐसा नजरिया है कि कोई इस बारे में किसी से बात नहीं करता। इसी कारण प्रवीण कुमार भी किसी को बताने में झिझक रहे थे। क्रिकेट से पूरी तरह दूर होने के बाद उनकी समस्या बढ़ती गई। वहीं कई पूर्व खिलाड़ी क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद कमेंटेटर, कोच या मेंटोर को रूप में खेल से जुड़े गए। लेकिन प्रवीण के पास कोई काम नहीं था। उन्होंने कहा कि वह कुछ करना चाहते थे, लेकिन कर नहीं पा रहे थे।