दरअसल, एमएस धोनी ने अपने करियर की शुरुआत एक छोटे मैदान से की थी। माही शुरुआत में फुटबॉल खेलते थे। वह अपनी टीम के लिए गोलकीपर की भूमिका निभाते थे। जब कोच ने उनकी फुर्ती के साथ बॉल पकड़ने की कला देखी तो उन्हें क्रिकेट खेलने की सलाह दी। इसके बाद धोनी की जिंदगी ही बदल गई। उनकी चीते जैसी फुर्ती के साथ विकेटकीपिंग और विस्फोटक बल्लेबाजी ने सभी को अपना दिवाना बना लिया।
क्रिकेटर नहीं, फौजी बनना चाहते थे धोनी
धोनी आज अपना 42वां बर्थडे मना रहे। ऐसे में आज हम आपको उनसे जुड़ा एक किस्सा बताते हैं, जिसके बारे कम ही लोग जानते हैं। दरअसल, धोनी को क्रिकेटर नहीं, बल्कि सेना के जवान बनने का सपना देखते थे। उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान खुद इसका खुलासा किया था। धोनी ने मिलिट्री के पैराशूट रेजीमेंट में सेना के जवानों के साथ समय बिताने के बाद बताया था कि वह भी फौजी बनना चाहते थे।
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बोले- सेना की वर्दी है खास
उन्होंने बताया कि उन्हें ऊंचाई से बहुत डर लगता था। इसके बाद भी जवानों के साथ फैन जंप किया। जब वह नीचे से ऊपर गए तो उन्होंने कहा कि ये वर्दी खास है। शायद इसकी वजह से उन्हें बिल्कुल भी डर नहीं लगा। धोनी ने बताया कि वह बचपन से ही फौजी बनने का सपना देखते थे।
लेफ्टिनेंट कर्नल की वर्दी में लिया था पद्म भूषण अवॉर्ड
धोनी अक्सर रांची के आर्मी एरिया में जाते और वहां जवानों को देखकर सोचते कि वह भी एक दिन फौजी बनेंगे। वर्ल्ड कप 2011 जीतने के बाद धोनी को भारतीय सेना के टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद रैंक से नवाजा गया था। जब धोनी को 2018 में पद्म भूषण अवॉर्ड दिया गया तो वह लेफ्टिनेंट कर्नल की वर्दी पहनकर पहुंचे थे।