सीरीज में 0-1 से पीछे था भारत
अनिल कुंबले ने जिम्बाब्वे के पूर्व तेज गेंदबाज पॉमलेले म्बांग्वा के साथ इंस्टाग्राम पर बात के दौरान उस मैच को याद करते हुए कहा कि उन्हें अब तक ऐसा लगता है, जैसे कल कल ही हुआ हो। यह कारनामा उनके लिए काफी खास है। अनिल कुंबले ने बताया कि यह वह सीरीज है, जो भारत और पाकिस्तान (India vs Pakistan) लंबे समय बाद खेल रही थीं। यह दो मैचों की टेस्ट की ही सीरीज थी। पहला टेस्ट चेन्नई में खेला गया था। बेहद रोमांचक मुकाबले में हमें 12 रनों की हार मिली थी। इसलिए कोटला में जाते समय हमें पता था कि हमें सीरीज बचाने के लिए हर हाल में यह मैच जीतना ही होगा।
कुंबले ने मैच के चौथे दिन की स्थिति के बारे में बताया, जिस दिन उन्होंने इतिहास रचा था। कुंबले ने कहा कि उन्हें पता है कि जब विकेट का व्यवहार दोहरा होता है या उस पर असीमित उछाल होती है तो वह ज्यादा प्रभावी होते हैं। कुंबले ने कहा कि अगर विकेट से ज्यादा टर्न नहीं मिल रहा होता है, तब भी यह बात उनके लिए ज्यादा मायने नहीं रखती, क्योंकि वह असीमित उछाल का फायदा उठा सकते हैं।
जवागल श्रीनाथ ने दी हिम्मत
अनिल कुंबले ने बताया कि कैसे उनके साथी तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ (Javagal Srinath) ने उन्हें आश्वस्त किया था कि वह नौ विकेट के साथ मैच खत्म नहीं करेंगे। इसके लिए उन्होंने भी कुरबानी दी थी। वह विकेट के काफी बाहर गेंदबाजी कर रहे थे। कुंबले ने उस दिन को याद करते हुए कहा कि लंच तक पाकिस्तान को अच्छी शुरुआत मिल चुकी थी। कुंबले ने कहा, लेकिन उन्हें पता था कि यह महज एक विकेट की बात है। लंच के बाद उन्होंने छोर बदला। इसके बाद उन्हें एक विकेट मिला, दूसरा मिला और फिर मिलता चला गया।
टी-ब्रेक तक थक गए थे
टीम इंडिया (Team India) के पूर्व कप्तान ने कहा कि वह लंच से टी-ब्रेक तक लगातार गेंदबाजी कर थक गए थे। कुंबले बोले, लेकिन उन्हें पता था कि उनके पास प्रदर्शन को बेहतर करने का मौका है, क्योंकि पाकिस्तान के गिरे छह में से छह विकेट उन्हीं ने लिए थे। टी-ब्रेक के बाद उन्हें तीन विकेट सात, आठ और नौ विकेट मिल गए।
श्रीनाथ ने बाहर गेंद फेंकनी शुरू कर दी
इसके बाद जैसे ही उन्होंने अपना ओवर ओवर खत्म किया, श्रीनाथ उनके पास आए। कुंबले ने कहा कि शायद इससे ज्यादा मुश्किल स्थिति में श्रीनाथ ने पहले कभी गेंदबाजी नहीं की होगी। टीम इंडिया के पूर्व कोच (Former Coach of Team India) ने कहा श्रीनाथ को सब कुछ भूलना पड़ा और बाहर गेंदबाजी करनी पड़ी, लेकिन ऐसा करने के लिए उन्होंने श्रीनाथ से नहीं कहा था। कुंबले ने बताया कि जब वह गेंदबाजी पर थे, तो उन्होंने सोचा कि वसीम अकरम को एक रन दे देते हैं। कुंबले ने बताया कि वह काफी देर से एक छोर से गेंदबाजी कर रहे थे। इसलिए उन्होंने सोचा कि अपना 10वां ओवर इसी एक ओवर में लेना होगा, क्योंकि एक और ओवर कप्तान से मांगना अच्छा नहीं लगता। कुंबले ने कहा कि उनकी किस्मत में शायद यह सब लिखा था। पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज में एक मैच से पीछे रहना। फिर यह सब होना। कुंबले ने जोर देकर एक बार फिर कहा कि यह उनके लिए विशेष था।