सरफराज खान ने जडेजा की गलती से खुद के रन आउट होने पर बयान देकर सभी का दिल जीत लिया है। उन्होंने कहा कि रवींद्र जडेजा से कोई शिकायत नहीं है। सरफराज ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अपने पिता के सामने डेब्यू कैप लेना मेरा सपना था। जब मैं छह वर्ष का था, तब उन्होंने मेरी ट्रेनिंग शुरू कर दी थी।
मेरा सपना था कि उनके सामने देश के लिए खेलूं। अपनी बल्लेबाजी को लेकर कहा कि ड्रेसिंग रूम में मैं करीब चार घंटे से पैड बांध बैठकर यही सोच रहा था कि मैंने लाइफ में कितना धैर्य रखा। क्रीज पर आने के बाद शुरुआती कुछ गेंदों पर मैं नर्वस था, लेकिन अधिक अभ्यास और कड़ी मेहनत के चलते सब सही रहा।
‘मेरा देश के लिए खेलना पिता का सपना था’
सरफराज ने कहा कि अपने पिता के सामने देश के लिए खेलने से अधिक रन बनाना और प्रदर्शन मायने नहीं रखता। मेरा देश के लिए खेलना पिता का सपना था, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो सका। उस दौरान घर से उतना सपोर्ट नहीं मिल सका था। पिता ने मेरे ऊपर काफी मेहनत की है और अब वह मेरे भाई के साथ भी ऐसा ही कर रहे हैं। ये मेरी लाइफ का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है।
‘रन आउट संवादहीनता का मामला’
सरफराज खान ने आगे कहा कि रन बनाना मेरे दिमाग में उतना नहीं था, जितना वह पिता के सामने देश के लिए खेलने को लेकर खुश थे। पहले पिता राजकोट आने को तैयार नहीं थे, लेकिन कुछ लोगों ने जोर देने पर वह आए। जब मैंने उनके सामने कैप ली तो वे भावुक हो गए और मेरी पत्नी भी। सरफराज खान ने अपने रन आउट को संवादहीनता का मामला बताया। उन्होंने कहा कि ये गेम का हिस्सा है। क्रिकेट में संवादहीनता होती है। कभी-कभी आप रन आउट हो जाते हैं और कभी-कभी रन मिलते हैं।
मेरा सपना था कि उनके सामने देश के लिए खेलूं। अपनी बल्लेबाजी को लेकर कहा कि ड्रेसिंग रूम में मैं करीब चार घंटे से पैड बांध बैठकर यही सोच रहा था कि मैंने लाइफ में कितना धैर्य रखा। क्रीज पर आने के बाद शुरुआती कुछ गेंदों पर मैं नर्वस था, लेकिन अधिक अभ्यास और कड़ी मेहनत के चलते सब सही रहा।
‘मेरा देश के लिए खेलना पिता का सपना था’
सरफराज ने कहा कि अपने पिता के सामने देश के लिए खेलने से अधिक रन बनाना और प्रदर्शन मायने नहीं रखता। मेरा देश के लिए खेलना पिता का सपना था, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो सका। उस दौरान घर से उतना सपोर्ट नहीं मिल सका था। पिता ने मेरे ऊपर काफी मेहनत की है और अब वह मेरे भाई के साथ भी ऐसा ही कर रहे हैं। ये मेरी लाइफ का सबसे गौरवपूर्ण क्षण है।
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सरफराज खान ने आगे कहा कि रन बनाना मेरे दिमाग में उतना नहीं था, जितना वह पिता के सामने देश के लिए खेलने को लेकर खुश थे। पहले पिता राजकोट आने को तैयार नहीं थे, लेकिन कुछ लोगों ने जोर देने पर वह आए। जब मैंने उनके सामने कैप ली तो वे भावुक हो गए और मेरी पत्नी भी। सरफराज खान ने अपने रन आउट को संवादहीनता का मामला बताया। उन्होंने कहा कि ये गेम का हिस्सा है। क्रिकेट में संवादहीनता होती है। कभी-कभी आप रन आउट हो जाते हैं और कभी-कभी रन मिलते हैं।
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