दरअसल, ध्रुव जुरेल ने अपने डेब्यू टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ 46 रन की विस्फोटक पारी खेली थी। वहीं, अब रांची टेस्ट में उन्होंने 149 गेंदों का सामना करते हुए 6 चौकों और 4 छक्कों की मदद से 90 रन की शानदार पारी खेली है, लेकिन वह अपने पहले टेस्ट शतक से चूक गए। हालांकि वह जिस काम के लिए क्रीज पर उतरे थे, उन्होंने वह बखूबी कर दिखाया। दूसरे दिन स्टंप तक बैकफुट पर खेली रही भारतीय टीम की उन्होंने अपनी पारी के दम पर वापसी कराई।
ध्रुव जुरेल को अपनी तरह फौजी बनाना चाहते थे पिता
ध्रुव जुरेल के अर्धशतक बनाकर सैल्यूट मारने की असल वजह उनके पिता हैं। जुरेल के पिता नेम सिंह भारतीय सेना में सेवाएं दे चुके हैं। नेम सिंह हवलदार पद से सेना से रिटायर हुए। एक इवेंट के दौरान ध्रुव जुरेल ने खुद बताया था कि उनकी पिता का सपना था कि वह भी अपने पिता की तरह फौजी बनकर देश की सेवा करे, लेकिन ध्रुव जुरेल क्रिकेटर बनना चाहते थे। शायद अर्धशतक के बाद सैल्यूट मारकर ध्रुव जुरेल अपने पिता को यही दिखाना चाहते हैं कि वह अभी देश की सेवा ही कर रहे हैं।
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कारगिल का युद्ध लड़ चुके हैं जुरेल के पिता
ध्रुव जुरेल के पिता का नेम सिंह देश के लिए 1999 में कारगिल का युद्ध भी लड़ चुके हैं। उन्होंने कारगिल में युद्ध के दौरान अहम भूमिका निभाई थी। पिता के सेना में होने के चलते ध्रुव जुरेल को क्रिकेट में करियर बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। ध्रुव जब 13 साल के थे, तभी उन्होंने क्रिकेटर बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए बल्ला थाम लिया था। उनके जोश, जज्बे और जुनून का ही नतीजा है कि वह आज देश के लिए खेल रहे हैं।
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