बता दें कि डेविड वॉर्नर के कप्तानी करने पर 2018 में आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ने कोड ऑफ कंडक्ट में कुछ परिवर्तन किए तो वॉर्नर प्रतिबंध हटाने की अपील की थी। बोर्ड ने वॉर्नर की अपील के बाद अभी तक भी कोई फैसला नहीं सुनाया है। जिसको लेकर डेविड वॉर्नर ने अपने बोर्ड के खिलाफ जंग छेड़ दी है।
‘अपने खेल पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहा’
वॉर्नर ने कहा है कि वह इस प्रकरण की वजह से अपने खेल पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं। टेस्ट के दौरान उनके पास लगातार कॉल आते हैं और उन्हें खेल की जगह वकीलों से बात करनी पड़ती है। यह बहुत ही अपमानजनक है और इससे बहुत निराशा हैं। यहां बता दें कि वॉर्नर की तरफ से पिछले साल नवंबर में भी एक अपील की गई थी।
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सार्वजनिक चर्चा चाहता था पैनल
अपील में वॉर्नर ने कप्तानी पर लगे बैन को हटाने की मांग की थी। वॉर्नर ने कहा था कि वह मुझे अपमानित करना चाहते थे। उन्होंने पैनल से अपील की थी कि इस मामले की सुनवाई एक बंद कमरे में की जाए। जबकि वह सार्वजनिक रूप से चर्चा कराने पर अड़े हुए थे। यह बिल्कुल भी उचित नहीं है।
डेविड वॉर्नर पर इसलिए लगा था बैन
2018 में ऑस्ट्रेलियाई टीम दक्षिण अफ्रीका दौरे पर थी। उस दौरे पर सैंड पेपर गेट कांड हुआ। घटना के अनुसार, कैमरुन बैनक्रॉफ्ट गेंद पर कुछ रगड़ते हुए पकड़े गए थे। मतलब वह बॉल टेंपरिंग कर रहे थे। इसमें कप्तान स्टीव स्मिथ और उपकप्तान डेविड वॉर्नर भी संलिप्त थे। इसके बाद दोनों पर एक-एक साल तो बैनक्रॉफ्ट पर 9 महीने का बैन लगा। वॉर्नर पर आजीवन कप्तानी का प्रतिबंध लगा दिया गया था।