भारतीय क्रिकेट टीम ने अपने शुरुआती तीन विकेट सस्ते में गंवा दिए थे, तब महेंद्र सिंह धोनी की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गई थी। आपको बता दें गावस्कर विश्व कप से पहले, विश्व कप के दौरान और विश्व कप के बाद भारतीय टीम प्रबंधन की नीतियों के आलोचक रहे हैं।
World Cup: इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को विशाल अंतर से हराया, फाइनल में न्यूजीलैंड से भिड़ंत
गावस्कर ने कहा कि जब टीम इंडिया ने अपने तीन टॉप बल्लेबाजों के विकेट सस्ते में गंवा दिए थे, तब हार्दिक पांड्या और ऋषभ पंत बल्लेबाजी कर रहे थे। दोनों मिजाज के लिहाज से एक जैसे बल्लेबाज हैं।
उनकी जगह एक छोर पर धोनी को होना चाहिए था, जो पंत को संयमित रहने की सलाह दे सकते थे। आखिरकार पंत एक खराब शॉट खेलकर आउट हुए, जो भारत के लिए बाद में काफी महंगा साबित हुआ।
गावस्कर के मुताबिक धोनी अपने साथियों की मनोदशा को समझते हैं और यही कारण था कि वह पंत या फिर पांड्या को सही तरीके से समझाकर विकेट पर बने रहने के लिए प्रेरित कर सकते थे।
क्रिकेट के मैदान से दुखद ख़बर, गेंद लगने से क्रिकेटर की मौत
गावस्कर ने कहा, “धोनी अगर विकेट पर होते तो वह पंत को समझा सकते थे, जो काफी उतावले नजर आ रहे थे। कप्तान ने अहम मुकाम पर दो ऐसे खिलाड़ियों को भेज दिया, जिनके खेलने का तरीका ‘मारो बस मारो’ है। उस वक्त गेंद काफी अनियमित खेल रही थी और ऐसे में विकेट पर बने रहते हुए हालात के हिसाब से खेलने की जरूरत थी। ऐसे में तो आपको ऐसे किसी व्यक्ति की जरूरत थी, जो विकेट पर ठहर कर खेल सकता था।”
आपको बता दें कि आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप 2019 ( ICC Cricket World Cup 2019 ) में न्यूजीलैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले में हालात के विपरीत विराट कोहली ने धोनी को 7 नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजा था। पूरे टूर्नामेंट में धोनी इतना ‘नीचे’ नहीं खेले थे। इसे लेकर कोहली का अपना अलग मत था।
कोहली ने मैच के बाद कहा था, “धोनी ने हालात के हिसाब से अपनी भूमिका के साथ न्याय किया। हमने उन्हें इसीलिए विकेट पर काफी देरी से भेजा था। हम चाहते थे कि वह अंत तक विकेट पर रहें और जब छह या सात ओवर रह जाएं तो हालात के हिसाब से बल्लेबाजी करें। हमारी रणनीति फ्लॉप रही क्योंकि वह रन आउट हो गए।”