मैंने कहा, सफल नहीं हुए तो मेरे साथ खेती करना : पिता
लिम्बानी के पिता वसंत पटेल आज अपने बेटे की सफलता से बेहद खुश हैं लेकिन एक दिन वो था, जब उन्होंने साफ-साफ कह दिया था कि यदि तुम क्रिकेटर नहीं बने तो मेरे साथ खेती करनी होगी। उन्होंने कहा, मैंने राज से कहा कि जाओ और अपने सपने को पूरा करने की कोशिश करो। लेकिन यदि ऐसा नहीं हो पाया तो मेरा अरंडी का फॉर्म तुम्हारा इंतजार कर रहा है। मुझे खुशी है कि वो अपने सपने को पूरा कर पाया।
रेत में गेंदबाजी कर प्रतिभा को निखारा
राज लिम्बानी बड़ौदा से 550 किमी दूर दयापार जिले में रहते हैं, जो कच्छ में है। यहां से पाकिस्तान का बॉर्डर सिर्फ 27 किमी दूर है। वसंत पटेल ने कहा, हम रेगिस्तान मेे रहते हैं और यहां खेलने की कोई सुविधा नहीं थी लेकिन उसके अंदर बचपन से ही क्रिकेट खेलना का जुनून था। राज ने पहले टेनिस बॉल और फिर कॉर्क की गेंद से खेलना शुरू किया। कच्छ में भयंकर गर्मी पड़ती है लेकिन इसके बावजूद वह रेत में घंटों गेंदबाजी करता रहता था।
बड़ौदा जाने के बाद बदली किस्मत
वसंत ने कहा, मैंने राज से कहा कि यदि तुम्हे क्रिकेटर बनना है तो बड़ौदा जाना होगा, जहां तुम्हे अच्छी ट्रेनिंग और सुविधा मिलेगी। इसके बाद साल 2010 में राज बड़ौदा चला गया।
पठान और पांड्या ब्रदर्स की एकेडमी से ट्रेनिंग
बड़ौदा में राज ने उस क्रिकेट एकेडमी में ट्रेनिंग लेनी शुरू की, जहां से यूसुफ और इरफान पठान के अलावा हार्दिक व कृणाल पांड्या जैसे दिग्गज क्रिकेटर निकले
उसे अच्छी तरह पता था कि क्या करना है : कोच
राज के कोच दिग्विजय सिंह ने कहा, मैंने पहली बार राज को अंडर-16 कैंप में देखा था। जब आप किसी बच्चे से पूछते हैं कि वह क्या करना चाहता हैं तो सभी का जवाब होता है कि भारत के लिए खेलना है। लेकिन राज अलग था। उसके पास एक डायरी थी, जिसमें उसने लिखा था, पहले उसे अंडर-16, फिर अंडर-19 और उसके बाद एनसीए जाना है। उसे पता था कि क्या करना है।