2007 एकदिवसीय विश्व कप के बाद ऐसा करना चाहते थे
कर्स्टन के नेतृत्व में 2007 में टीम इंडिया जब पहली बार टी-20 विश्व कप जीती, तब सचिन उस टीम का हिस्सा नहीं थे। लेकिन अपनी मेजबानी में भारत ने कर्स्टन की कोचिंग और महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) के नेतृत्व में 2011 में जब विश्व कप जीता, तब सचिन उस टीम का हिस्सा थे। कर्स्टन ने बताया कि सचिन अपनी बल्लेबाजी क्रम से खुश नहीं थे और 2007 में उन्होंने करियर का अंत करने का मन बना लिया था। 2007 एकदिवसीय विश्व कप में वेस्टइंडीज के हाथों मिली हार के बाद ग्रुप चरण से टीम इंडिया के बाहर हो गई थी। इसके बाद सचिन ऐसा करना चाहते थे।
सचिन बल्लेबाजी क्रम से नहीं थे खुश
कर्स्टन ने कहा कि सचिन के साथ उनकी कोचिंग यात्रा शानदार रही। अगर 2007 के सचिन तेंदुलकर की बात करें तो जब वह भारत आए थे तो सचिन पूरी तरह से संन्यास लेने का मन बना चुके थे। कर्स्टन ने कहा कि सचिन के अनुसार, वह अपने क्रम पर बल्लेबाजी नहीं कर पा रहे थे। इसके साथ ही वह क्रिकेट का आनंद भी नहीं उठा पा रहे थे।
कर्स्टन की कोचिंग में लौट आए फॉर्म में
इसके बाद कर्स्टन ने कोचिंग संभाली तो सचिन का फॉर्म भी वापस आ गया। कर्स्टन जब तक वह टीम के कोच रहे, इस दरमियान सचिन ने 38 वनडे मैचों में 1,958 रन बनाए थे। इसमें एक दोहरा शतक समेत सात शतक लगाया। बता दें कि एकदिवसीय क्रिकेट में लगाया गया यह पहला दोहरा शतक था। इसी दौरान सचिन ने 31 टेस्ट मैचों में 12 शतकों सहित 2910 रन बनाए थे। कर्स्टन ने बताया कि तीन साल के भीतर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 18 शतक (लगाए 19, कर्स्टन के अनुसार 18) लगाए। कर्स्टन ने कहा कि उनकी कोचिंग में सचिन वहां खेले, जहां वह पसंद करते थे और हम विश्व कप जीते।
कुछ खास नहीं किया, बस बेहतर माहौल दिया
कर्स्टन ने कहा कि उन्होंने इस दौरान कुछ खास नहीं किया। उन्होंने बस इतना करने की कोशिश की कि खिलाड़ियों को ऐसा माहौल दिया जाए कि वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने को बेकरार हो। कर्स्टन ने बताया कि उन्होंने सचिन से कुछ नहीं कहा। वह अपने खेल को जानते थे। उन्हें सिर्फ माहौल की जरूरत थी। सिर्फ उन्हें ही नहीं, बल्कि पूरी टीम को। ऐसा माहौल जहां सब सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें।