बता दें कि टीम इंडिया के मुख्य कोच रवि शास्त्री से सौरव गांगुली के रिश्ते अच्छे नहीं माने जाते। इसके पिछली बार जब रवि शास्त्री का मुख्य कोच के पद पर चयन हुआ था, तब गांगुली सीएसी में थे और वह नहीं चाहते थे कि वह टीम इंडिया के मुख्य कोच बनें। हालांकि बोर्ड अध्यक्ष बनने के बाद गांगुली के रवैये में बदलाव दिख रहा है। उन्होंने कहा कि दोबारा कोच पद की प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत नहीं है।
गांगुली ने यह भी कहा कि वह आश्वस्त नहीं हैं
सौरव गांगुली ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि शास्त्री के चयन को लेकर कोई परेशानी आएगी। हालांकि वह इसे लेकर आश्वस्त नहीं हैं। उन्होंने बतौर उदाहरण यह कहा कि जब वह सीएसी में थे और वह, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण ने जब कोच का चयन किया था, तब भी हितों के टकराव का मुद्दा था। गांगुली से जब यह पूछा गया कि क्रिकेट बोर्ड का अध्यक्ष तय हो जाने के बाद क्या आपने टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री से बात की तो उन्होंने हंसकर उल्टा संवाददाताओं से ही पूछ लिया कि क्यों? अब उन्होंने क्या किया।
कुछ दिन पहले जब प्रशासकों की समिति के अध्यक्ष विनोद राय से जब यह पूछा गया था कि अगर लोकपाल सीएसी को हितों के टकराव का दोषी मानते हैं तो क्या रव शास्त्री को दोबारा नियुक्त करने की जरूरत पड़ेगी? इस पर उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा था कि पहली बात यह है कि यह काल्पनिक प्रश्न है और दूसरी बात यह कि लोकपाल के फैसले से पहले उनका कुछ भी बोलना गलत होगा।