बीसीसीआई के एक कार्यकारी ने बताया कि यह बहुत मुश्किल समय है। सरकार जब इस समय आपदा से लड़ने की कोशिश कर रही है और लोगों को घर में रखने की कोशिश कर रही है। ऐसे में यह बीसीसीआई की तरफ से इस लड़ाई में एक योगदान है। फिलहाल सरकार से पैसे लेने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि आर्काइव फुटेज के लिए पैसा लेने का सवाल ही नहीं उठता। यह लॉकडाउन तक के लिए है। इस विषम परिस्थिति में हम इतना तो कर ही सकते हैं। कार्यकारी ने बताया कि इसके पीछे विचार लोगों को घर में रखने का है। अगर इन मैचों से क्रिकेट प्रंशसकों को घर में रहने में मदद मिलती है तो राष्ट्रहित में किसी भी तरह का योगदान देने के लिए बीसीसीआई हमेशा तैयार है।
जब सूत्र से यह पूछा गया कि सामान्य स्थिति में इन फुटेज की कितनी कीमत होगी है तो उन्होंने कहा सामान्य तौर पर यह काफी महंगे होते हैं और कितने महंगे होंगे, यह उस फुटेज की मांग पर निर्भर करता है। उदाहरण के तौर पर अगर किसी को 2011 विश्व कप में महेंद्र सिंह धोनी के आखिरी छक्के वाली फुटेज चाहिए तो जाहिर तौर पर वह काफी महंगी होगी, लेकिन किसी और मैच का चाहिए तो उसकी फुटेज इससे कम महंगी होगी। इसलिए यह इस बात पर निर्भर करता है कि मांग कैसी है। इसके अलावा एक बार के उपयोग के लिए कीमत अलग होती है और कई बार उपयोग में लाना है तो उसकी कीमत अलग होती है। बता दें कि डीडी स्पोर्ट्स 14 अप्रैल तक भारतीय क्रिकेट टीम के पुराने मैचों की फुटेज दिखा रहा है।