चेतेश्वर पुजारा ने कहा कि भारतीय टेस्ट टीम से बाहर होना निराशाजनक था। इस कारण उन्हें आत्मसंदेह और अहम पर चोट पहुंची। पुजारा ने फाइनल वर्ड पोडकास्ट से कहा कि पिछले कुछ वर्षों से वह उतार-चढ़ाव का सामना कर रहे हैं। यह एक खिलाड़ी के रूप में परीक्षा है, क्योंकि उन्हें 90 से अधिक टेस्ट खेलने के बाद भी खुद को साबित करना पड़ता है। मुझे अब भी ये साबित करना पड़ता है कि मैं वहां रहने का हकदार हूं। ये बिलकुल अलग तरह की चुनौती है।
कभी-कभी अपनी क्षमता पर होता है संदेह
पुजारा ने कहा कि यहां तक कि आपने 90 टेस्ट के बाद या 5-6 हजार रन या मैंने जितने रन बनाए। उनके बाद खुद को साबित करना पड़े तो आप कभी-कभी बेहद हताश हो जाते हो। लेकिन, यह आसान नहीं है। कभी-कभी ये आपके अहं के साथ खेलता है। अब भी संदेह होता है कि क्या आप पर्याप्त रूप से सक्षम हो। आपको बार-बार खुद को साबित करना पड़े तो आप सोचते हैं कि क्या ऐसा करना जरूरी है।
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अहम पारियां खेलने के बाद भी अनदेखी
बता दें कि चेतेश्वर पुजारा वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2021-23 के सीजन में 17 मैच में 928 रन बनाए थे और वह विराट कोहली के बाद भारत के दूसरे सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज रहे। पुजारा ने घरेलू क्रिकेट में भी तीन शतक लगाए। दलीप ट्रॉफी में पश्चिम क्षेत्र के लिए मध्य क्षेत्र के खिलाफ 133 रन की पारी खेली तो वनडे कप में ससेक्स के लिए नॉर्थम्पटनशर और समरसेट के खिलाफ नाबाद 106 और 117 रन की पारियां खेली।
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