निदहास ट्रॉफी का फाइनल था विजय शंकर की जिंदगी का काला दिन
वैसे अगर फ्लैशबैक में देखा जाए तो विजय शंकर की टीम इंडिया में एंट्री कुछ ज्यादा खास नहीं रही थी। इंटरनेशनल क्रिकेट में विजय शंकर पहली बार निदहास ट्रॉफी के फाइनल में देखे गए थे। निदहास ट्रॉफी के फाइनल में विजय शंकर दबाव के चलते अहम समय पर रन न बनाने के कारण विलेन बन गए थे। शंकर ने 19 गेंदों में 17 रन बनाए थे। हालांकि दिनेश कार्तिक की बदौलत भारत ने वह मैच जीत लिया था, लेकिन शंकर के सामने बार-बार उस पारी का भूत आकर खड़ा हो जाता। लेकिन काले बादलों के बाद धूप निखर कर सामने आती है और यही शंकर के साथ हुआ।
उस समय ने मुझे मजबूत बनाया- विजय शंकर
उस वाकये ने उन्हें जीवन का अहम पाठ पढ़ाया और एक मजबूत इंसान बनाया जो समझ सका कि मौजूदा पल का लुत्फ कैसे उठाया जाता है और क्रिकेट के मैदान पर ज्यादा दबाव नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं निश्चित तौर पर कहूंगा कि निदास ट्रॉफी एक क्रिकेटर के तौर पर मेरे लिए जीवन बदलने वाला पल था। उस बात को तकरीबन एक साल हो चुका है और हर कोई जानता है कि क्या हुआ था और वह कितना मुश्किल था।”
सोशल मीडिया पर शंकर हुए थे ट्रोल
विजय शंकर ने बताया कि निदहास ट्रॉफी के फाइनल के बाद तो मेरा जीना मुश्किल हो गया था। मीडिया के लोग मुझे लगातार फोन कर रहे थे तो वहीं सोशल मीडिया पर भी मुझे ट्रोल किया जा रहा था, इन सबसे निकलने में मुझे काफी समय लगा। विजय शंकर ने बताया कि वहीं दूसरी तरफ इन सभी चीजों ने मुझे सिखाया कि इस तरह की स्थिति को कैसे संभालना है और किस तरह से बाहर आना है। उस वाकये ने मुझे बताया कि एक दिन खराब होने का मतलब यह नहीं है कि विश्व का अंत हो गया। यह सिर्फ मेरे साथ नहीं हुआ, यह बीते वर्षो में कई शीर्ष खिलाड़ियों के साथ हुआ है।
आपको बता दें विजय शंकर को चयनकर्ताओं ने अंबाती रायडू और ऋषभ पंत से उपर तरजीह देते हुए वर्ल्ड कप टीम में शामिल किया है। विजय शंकर का चयन काफी विवादों में रहा। क्रिकेट के कई दिग्गज खिलाड़ियों ने विजय शंकर के चयन को गलत बताया।