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रोहित से पहले ये निचले क्रम के भारतीय बल्लेबाज भी रहे हैं कामयाब, शास्त्री तो 10वें नंबर के थे बल्लेबाज

रोहित शर्मा ने बतौर सलामी बल्लेबाज अपने पहले टेस्ट मैच में ही धमाल मचा दिया है। वह शतक लगाकर नाबाद हैं।

Oct 02, 2019 / 06:54 pm

Mazkoor

नई दिल्ली : अपने करियर की शुरुआत बतौर मध्यक्रम बल्लेबाज करने वाले रोहित शर्मा ने पहले सीमित ओवर क्रिकेट में बतौर ओपनर धमाल मचाया और अब टेस्ट में भी सलामी बल्लेबाज के रूप में अपने करियर का शानदार आगाज किया है। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट में वह टीम इंडिया की ओर से पहली बार ओपनिंग करने उतरे और पहली बार में ही उन्होंने शानदार शतक जड़कर चयनकर्ताओं को यह संदेश दे दिया है कि वह टेस्ट मैच में भी ओपन करते हुए सफल हो सकते हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीन टेस्ट मैच की सीरीज के पहले टेस्ट के पहले दिन बारिश के कारण प्रभावित मैच में स्टंप तक 115 रन बनाकर नाबाद हैं। लेकिन वह मध्यक्रम के पहले भारतीय बल्लेबाज नहीं हैं, जो ओपनिंग में सफल हुए हैं। इनके अलावा भी दो खिलाड़ी ऐसे हैं, जो काफी सफल रहे हैं। आइए उन खिलाड़ियों के करियर पर नजर दौड़ाते हैं।

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रवि शास्‍त्री ने 0वें नंबर के बल्लेबाज के रूप में शुरु किया था करियर

कमाल की बात यह है कि वर्तमान समय में टीम इंडिया के कोच रवि शास्‍त्री पहले ऐसे भारतीय बल्लेबाज हैं, जो निचले क्रम की बल्लेबाजी से प्रमोट होकर सलामी बल्लेबाज बनने के बाद काफी सफल रहे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक बाएं हाथ के स्पिन गेंदबाज के रूप में की थी। अपने पहले टेस्ट मैच में वह सबसे अंतिम 10वें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए थे। भारत के स्पिन गेंदबाज दिलीप दोषी के चोटिल होने पर उन्हें न्यूजीलैंड के बीच दौरे पर बतौर लेग स्पिनर बुलाया गया था। इस मैच में वह अंतिम नंबर पर बल्लेबाजी करने आए। इसके बाद वह बल्लेबाजी क्रम में प्रमोट होते गए। उन्हें पहली बार 1982 में इंग्लैंड के खिलाफ बतौर ओपनर मौका मिला। अपने पहले मैच में तो वह सफल नहीं हुए, लेकिन बाद में अच्छा प्रदर्शन कर टीम इंडिया के स्थायी सलामी बल्लेबाज बन गए। टेस्ट में बतौर उनका औसत 44.08 का है तो मध्यक्रम के बल्लेबाज के रूप में महज 33.28 का। इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह सलामी बल्लेबाज के रूप में कितने सफल रहे।

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वीरेंद्र सहवाग ने भारत को दिलाई धमाकेदार शुरुआत

बतौर मध्यक्रम बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने टीम इंडिया में कदम रखा था और पहले ही टेस्ट मैच में शतक लगाकर काफी उम्मीदें जगाई थी। लेकिन इसके बाद वह मिडल ऑर्डर में लगातार फ्लॉप रहे। इस समय भारत की कोई स्थायी ओपनिंग जोड़ी नहीं थी। कोई भी इस स्थान पर सफल नहीं हो रहा था तो तत्कालीन कप्तान सौरव गांगुली ने वीरेंद्र सहवाग को मध्यक्रम से प्रमोट कर टॉप ऑर्डर पर बल्लेबाजी के लिए भेज दिया। इसके बाद तो जो हुआ इतिहास है। उन्होंने बतौर सलामी बल्लेबाज दो तिहरे शतक भी लगाए। वह तिहरा शतक लगाने वाले भारत के पहले बल्लेबाज भी हैं। सहवाग का औसत बतौर मध्यक्रम बल्लेबाज महज 37.9 का है। वहीं बतौर ओपनर 50 से भी ज्यादा का औसत है।

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