बिहार क्रिकेट एसोसिएशन अध्यक्ष राकेश तिवारी ने इस मामले पर आईएएनएस से बातचीत में कहा कि दो टीमों जैसा कुछ नहीं था, कुछ लोगों को उपद्रव मचाना पसंद है और उनका सिर्फ एक ही उद्देश्य था, अपने बच्चों को टीम में लाना। लेकिन, हमें योग्यता से समझौता पसंद नहीं है। जब वे लोग अपनी ताकत का फायदा नहीं उठा सके तो उन्होंने बीसीए में अशांति का माहौल बनाने के लिए दूसरी टीम उतार दी। वे सिर्फ बिहार क्रिकेट की छवि खराब करना चाहते थे।
बीसीसीआई ने आर्थिक सहायता देनी शुरू की
बीसीए के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद 2018 में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को मान्यता मिली, जिसके बाद बीसीसीआई ने आर्थिक सहायता देनी शुरू की। बिहार और झारखंड के अलग होने के बाद बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को झारखंड क्रिकेट एसोसिएशन में तब्दील कर दिया गया और बिहार का कोई क्रिकेट एसोसिएशन नहीं रहा। इसके बाद लोगों ने तीन-चार संघ बनाकर मान्यता के लिए एक-दूसरे से लड़ना शुरू कर दिया।
बीसीए के पास अपना ऑफिस तक नहीं था
तिवारी ने बताया कि बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के गठन के बाद उन्होंने भी मान्यता के लिए लड़ाई शुरू कर दी। जब मैं अध्यक्ष बना तो सब कुछ अपने हाथ में लेते हुए बिहार क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की सौगंध खाई। जब मैं चेयरमैन बना तो बीसीए के पास दफ्तर तक नहीं था, आज दफ्तर है और सभी लोग काफी मेहनत करते हैं। प्रत्येक विंग में एक जीएम और लोकपाल के साथ भ्रष्टाचार रोधी विंग भी है।
विश्व स्तरीय स्टेडियम के लिए तलाश रहे जगह
उन्होंने कहा कि हमारे लिए सबसे बड़ी जीत ये है कि अब बिहार के खिलाड़ियों का चयन आईपीएल में हो रहा है। इस बार एक खिलाड़ी को चुना गया है और वह बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आता है, युवा क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी हमारे राज्य से हैं, जिसने 13 साल की उम्र में मुंबई के खिलाफ रणजी ट्रॉफी में डेब्यू किया था। स्टेडियम की समस्या को लेकर उन्होंने कहा कि हम हम ऐसे क्षेत्रों और स्थानों की तलाश कर रहे हैं, जहां हम एक विश्व स्तरीय स्टेडियम बना सकें।