रोहित शर्मा ने आगे कहा, “निश्चित तौर पर हमने भारत में भी बल्ले के साथ अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था और हम यह स्वीकारते हैं। जब हम भारत में खेलते हैं तो हम मुश्किल परिस्थिति में बल्लेबाज़ी करने की कोशिश करते हैं और यही हम चाहते भी थे। यह हमारा निर्णय था क्योंकि हमें पता था कि बड़े स्कोर वाले मैच नहीं होंगे और पिछले चार पांच वर्षों से ऐसी स्थिति रही है और हम इसे स्वीकारते हैं। लेकिन जब हम बाहर की यात्रा करते हैं तब यहां परिस्थिति रन बनाने की होती है। हमने रन बनाए भी हैं, जैसा कि आपने पहले मैच में ही देखा हमने बड़ा स्कोर बनाया था। हां, लेकिन इस मैच में वैसा नहीं हो पाया लेकिन मुझे लगता है कि इसके बारे में अधिक चिंता करने की ज़रूरत है।”
पिछले छह टेस्ट में ख़ुद रोहित ने ही महज़ 11.83 की औसत से रन बनाए हैं। विराट कोहली ने पिछले सात मैच में महज़ 26.25 की औसत से रन बनाए हैं। अगला टेस्ट ब्रिसबेन में होना है जहां की पिच तेज़ और उछाल भरी होती है। ऐसे में 1-1 बराबरी पर खड़ी सीरीज़ में चुनौती आसान नहीं रहने वाली है। उन्होंने कहा, “जैसी भी परिस्थिति हो हम उससे लड़ने की पूरी कोशिश करेंगे। पर्थ में (यशस्वी) जायसवाल और केएल (राहुल) ने 200 रनों की साझेदारी में ऐसा ही किया था। वे सिर्फ़ अपना बल्ला नहीं चला रहे थे, केएल ने 70 (77) रन बनाने के लिए लगभग 200 (176) गेंदें खेली थीं। जायसवाल ख़ुद जो अपनी आक्रामक शैली के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने ख़ुद भी 150 (161) रन बनाने के लिए 300 (297) गेंदें खेली। पर्थ में हम दूसरी पारी में पहली पारी का बोझ लेकर नहीं उतरे और एक नई शुरुआत करते हुए हमने बड़ा स्कोर खड़ा किया।”
गेंदबाज़ी में भी भारतीय टीम बहुत हद तक जसप्रीत बुमराह पर निर्भर करती है जिन्होंने इस सीरीज़ में अब तक 11.25 की औसत से सर्वाधिक 12 विकेट चटकाए हैं। लेकिन जैसा कि रोहित ने ख़ुद भी कहा कि वह दोनों छोर से गेंदबाज़ी नहीं कर सकते। पर्थ में मोहम्मद सिराज और हर्षित राणा ने उनका साथ दिया लेकिन एडिलेड में राणा लय में नहीं दिखे और उन्होंने 16 ओवर में 5.37 की इकॉनमी से 86 रन दिए। रोहित से जब अगले टेस्ट में राणा की जगह आकाश दीप को मौक़ा मिलने की संभावना के बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहा, “राणा ने पहले टेस्ट में कुछ ग़लत नहीं किया था, उन्होंने अहम ब्रेकथ्रू दिलाए थे। मुझे लगता है कि अगर खिलाड़ी ने कुछ ग़लत नहीं किया है तब उसे बाहर नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि अगर ऐसा होगा तो फिर टीम के दूसरे सदस्य कैसे सुरक्षित महसूस करेंगे? वे सोचेंगे ‘हमें एक मैच में मौक़ा मिलता है और दूसरे में बाहर बैठा दिया जाता है’। यह किसी भी खिलाड़ी या टीम के लिए सही नहीं है।”