अजंता मेंडिस ने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच चार साल पहले 2015 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था। इसके बाद से उन्हें राष्ट्रीय टीम की तरफ से खेलने का मौका नहीं मिला है। एक समय था, जब मेंडिस को रहस्यमयी गेंदबाज माना जाता था। करियर के शुरुआती दौर में उनकी गेंदों को खेल पाना किसी भी बल्लेबाज के लिए काफी मुश्किल हुआ करता था। कैरम गेंद का जनक भी उन्हें ही माना जाता है। उनकी यह गेंद बल्लेबाजों के लिए अबूझ पहेली साबित होती थी। हालांकि बाद में उनके इस गेंद की काट बल्लेबाजों ने निकाल ली थी। इसके बाद वह बेअसर हो गए थे।
मेंडिस ने अप्रैल 2008 में वेस्टइंडीज के खिलाफ पदार्पण किया था। इसी साल एशिया कप के फाइनल में उन्होंने भारत के खिलाफ छह विकेट लेकर टीम इंडिया को हार के लिए मजबूर कर दिया था। इसके बाद तो कुछ वर्ष उनके लिए स्वप्न सरीखे रहे थे। अजंता मेंडिस ने 19 टेस्ट मैच में 70 विकेट लिए हैं तो वहीं 87 वनडे मैचों में उनके नाम 152 विकेट हैं, जबकि मेंडिस ने 39 टी-20 मैचों में 66 विकेट झटके हैं। मेंडिस हालांकि चार साल से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दूर हैं, लेकिन संन्यास के वक्त भी एकदिवसीय क्रिकेट में सबसे तेज 50 विकेट लेने का रिकॉर्ड उनके नाम है। उन्होंने 19 वनडे में अपने 50 विकेट पूरे कर लिए थे।