यह खबर भी पढ़ें:—हाशिम अमला ने खेली इतनी धीमी पारी, 278 गेंदो में बनाए 37 रन, फिर भी टीम को बचा लिया हार से
लक्ष्मण से कराई 3 नंबर पर बैटिंग
दरअसल, हुआ यूं कि गांगुली की कप्तानी में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक टेस्ट मैच खेला जा रहा था। इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को फॉलोऑन खेलने पर मजबूर किया था, तो गांगुली ने लक्ष्मण को नंबर 3 पर बैटिंग कराई और उन्होंने राहुल द्रविड़ के साथ खेलते हुए 281 रनों की ऐतिहासिक पारी खेली थी। इसके बाद जो हुआ वह इतिहास बन गया है। लक्ष्मण ने टेस्ट क्रिकेट की ऐतिहासिक पारी खेली जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।
विश्व कप में द्रविड़ से कराई विकेटकीपिंग
साल 2003 में विश्व कप से पहले भारतीय टीम के पास एक बेहतरीन विकेटकीपर बल्लेबाज नहीं था। द्रविड़ अपने शुरुआती कॅरियर में विकेटकीपिंग किया करते थे। गांगुली ने अपनी कप्तानी में द्रविड़ पर भरोसा जताया और टीम में एक अतिरिक्त बल्लेबाज खिलाने के लिए वर्ल्ड कप में विकेटकीपिंग कराई। इससे कई सालों तक टीम इंडिया का मिडिल ऑर्डर दुनिया की दूसरी बड़ी टीमों से भी मजबूत था। गांगुली का यह फैसला उनकी कप्तानी का बेमिसाल उदाहरण है।
सहवाग को बनाया ओपनर
गांगुली ने वीरेंद्र सहवाग को ओपनर बनाया था। इसके बाद बतौर ओपनर सहवाग ने भारतीय क्रिकेट को बदलकर रख दिया। बता दें कि सहवाग ने अपने डेब्यू टेस्ट में नंबर 6 पर बल्लेबाजी करते हुए शतक जमाया था। इससे गांगुली को आभास हुआ कि सहवाग सबसे विस्फोटक बल्लेबाज हैं तो उन्हें बतौर ओपनर उतारा गया। सहवाग ने विरोधी टीमों के गेंदबाजों के जमकर छक्के भी छुड़ाए।
युवराज, मोहम्मद कैफ, हरभजन, इरफान जैसे खिलाड़ियों पर जताया भरोसा
गांगुली ने अपनी कप्तानी में युवराज सिंह, मोहम्मद कैफ, हरभजन सिंह, सहवाग और इरफान पठान जैसे खिलाड़ियों पर भरोसा जताया। इन खिलाड़ियों ने गांगुली की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा दी।
यह भी पढ़ें— भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज से पहले इंग्लैंड की टीम 7 सदस्य कोरोना पॉजिटिव, रद्द हो सकता है अभ्यास मैच
धोनी को दिया मौका
धोनी ने गांगुली कप्तानी में ही डेब्यू किया था। गांगुली ने धोनी के टैलेंट को पहचाना और 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ वनडे मैच में उन्हें नंबर 3 पर बल्लेबाजी करने का मौका दिया। धोनी ने इस मैच में पाकिस्तानी गेंदबाजों की जमकर धुनाई की और 148 रनों की विस्फोटक पारी खेली। इसके बाद धोनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और फिर टीम इंडिया के एक सफलतम कप्तान बनें।