अभिमान से व्यक्तित्व का पतन संभव
जैन मुनि हितेशचंद्र विजय ने कहा कि अभिमान नहीं करना चाहिए। अभिमान को सम्मान में परिवर्तित करने का प्रयास करना चाहिए।
कोयंबटूर•Dec 30, 2019 / 11:56 am•
Dilip


अभिमान से व्यक्तित्व का पतन संभव
कोयम्बत्तूर. जैन मुनि हितेशचंद्र विजय ने कहा कि अभिमान नहीं करना चाहिए। अभिमान को सम्मान में परिवर्तित करने का प्रयास करना चाहिए। अभिमान से विद्या गौण होती है विनय व समकित चला जाता है। अभिमान तमाम गुणों का समाप्त कर देता है। अभिमान व्यक्तित्व का पतन है और स्वाभिमान जीवन का सम्मान है। वह रविवार को यहां मुमुक्षु स्वीटी नाहर के वर्षीदान वरघोड़े के समापन पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रवचन में संयम के महत्व का बताया। संयम जीवन की पायदान का पहला विनय गुण है। इसके बिना चरित्र अधूरा है। परमात्मा महावीर के शासन में कई आत्माओं ने संयम की साधना को स्वीकार कर अपनी आत्मा का कल्याण किया है। उन्होंने कहा कि संयम की दूसरी पायदान समता व सरलता है। भगवान महावीर के कानों में गौपालक ने कीले ठोके लेकिन फिर भी महावीर ने संयम नहीं खोया। गजसुकुमाल जैसे मुनि के सिर पर गरम अंगारे डाले गए फिर भी मुनि ने अपनी समता नहीं त्यागी। साधना मार्ग के संयम पथिक बने कई मुनियों को पीड़ाएं हुई पर उन्होंने धैर्य नहीं खोया। संयम मार्ग पर चलने वाले समस्त मुमुक्षु भाई बहन का संयम मार्ग आनंदकारी व मंगलकारी बने यही प्रभु से प्रार्थना है। नगर के समस्त ट्रस्ट व मंडलों ने मुमुक्षु का बहुमान किया।
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