धार्मिक अनुष्ठान व परोपकार के कार्यों को महत्व दें
कोयम्बत्तूर. सांसारिक व अपने स्वयं के कार्य के लिए व्यक्ति के पास खूब समय है। किसी की निंदा किसी दूसरे के काम में हस्तक्षेप कर वह अपने समय को बर्बाद करता है लेकिन धार्मिक अनुष्ठान व परमात्मा के कार्य के लिए उपस्थित होने का उसके पास समय नहीं है। जहां से सर्वत्र मिलता है उसके लिए समय नहीं है। जहां सिर्फ खोना है वहां समय बर्बाद करता है।
यह बात जैन मुनि हितेशचंद्र विजय ने कही। वह यहां मुनिसुव्रत स्वामी जिन मंदिर के ध्वजारोहण कार्यक्रम में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि गुणों की सुगंध उतनी तीव्रता के साथ औरों के पास नहीं पहुंच पाती जितनी तेजी के साथ दुर्गुणों की सुगंध पहुंचती है। हम अच्छाईयों को छोड़कर बुराईयों पर ध्यान दे रहे हैं। बुराईयां तो हर मोड़ पर आपका हाथ थाम लेंगी लेकिन अच्छाईयां पाने के लिए प्रयत्न करना पड़ेगा। परमार्थ के कार्यों में योगदान देना होगा। परमार्थ में किया गया कार्य कल को संवार सकता है। स्वार्थ के लिए किया गया कार्य आने वाले भव को बिगाड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि धर्म के लिए कार्यों में अपना योगदान देना शुरू किया जाना चाहिए। वरना समाज टूट जाएगा समय रहते यदि जाग्रत नहीं हुए तो आने वाले समय में धर्म के संस्कार गौण हो जाएंगे। आज के बच्चों के पास मोबाईल व टीवी देखने का समय है मंदिर पाठशाला जाने का समय नहीं है। ्रआज के अभिभावकों को व्यापार विवाह आदि के लिए समय है लेकिन सामाजिक कार्यों के लिए समय नहीं है। जब हमारे में ही धर्म के बीज नहीं है तो आने वाली पीढ़ी को हम क्या देंगे। ध्वजा के लाभार्थी परिवार का बहुमान किया गया। धर्मसभा में ध्वजा का महत्व व सरल व गंभीर बनने की प्रेरणा दी गई।