किसी के मन को दुखी न करें
कोयम्बत्तूर. जिसे लगता है कि वह चार पैसा बचाए तो इसके लिए जरुरी है कि वह कोई कर्ज न ले। साथ ही वह खर्चा भी कम करने का प्रयास करे। ऐसा करने पर खासी बचत हो सकेगी।
ये बातें
Coimbatore सुपाश्र्वनाथ जैन आराधना भवन में बुधवार को चातुर्मास प्रवचन में मुनि हितेशचंद्र विजय ने कही। उन्होंने कहा कि यही नियम प्रेम भावना में होता है यदि किसी से प्रेम करना है तो पहले द्वेष भावना को खत्म करें और प्रेम कैसे बढ़ेगा इसके प्रयास शुरू कर देें। किसी के मन को दुख न पहुंचे, इसका सदैव गंभीरता से प्रयास करें। किसी को लाठी मार दी या उसकी देह को कष्ट दिए तो यह बात फिर भी समय के साथ भर जाएगी। घाव भर जाते हैं, माफी मांगने पर माफी भी मिल जाती है लेकिन यदि किसी के मन को आघात पहुंचाया है तो यह परमेश्वर को दुखी करने जैसा है। भगवान ने जो अपनी विभूतियां बताई उसमें कहा गया है कि मैं मन हूं।
मुनि ने कहा कि सत्य बोलना अच्छा है लेकिन इसके लिए भी समग्र विचार सब जगह आवश्यक है। कोई कहे कि वह सच्चाई जानता है और इसे बोलने के लिए वह माता-पिता, गुरू आदि की परवाह नहीं करता तो उसे क्या कहा जाएगा। सच बोलने के लिए विभूतियों का अपमान हो तो उस सच को अच्छा कैसे कहा जाएगा। भाइयों में लड़ाई मिटानी है तो सदैव एक-दूसरे की पसंद की ओर आंख मूंद लो। यह पहला कदम है। फिर सभी को पिता के प्रति आदर भाव रखना होगा। इससे पहली बात याद नहीं रहेगी। सभी भाई-भाई हैं यह भावना होगी व प्रेम दृढ़ होगी। सभी को परस्पर सद्भाव व प्रेम से रहना चाहिए।