अहंकार छोडं़े, , प्रेम अपनाएं
कोयम्बत्तूर. मुनि हितेशचंद्र विजय ने कहा है कि अभिमान से हजारों साल की साधना भी निष्फल हो जाती है और प्रेम वात्सल्य से नौ दिन की साधना भी आत्मकल्याण का कारक बन जाती है। अभिमान को हटा कर जीवन में प्रेम को जाग्रत करने से ही मानव का उद्धार है।मुनि हितेशचंद्र बुधवार को
Rajastjan jain shwetamber murti pujak sangh राजस्थान जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ
Coimbatore के तत्वावधान मेंं चातुर्मास में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बड़े पुण्य से हमें मानव जीवन मिला इसे अहंकार के आवरण से व्यर्थ न गंवाएं। समाज में प्रेम होगा तो समाज उन्नति करेगा। अहंकार होगा तो समाज टूट जाएगा। हमेंं समाज व संघ को जोडऩे का काम करना चाहिए तोडऩे का नहीं। संघ की उन्नति की कामना के साथ मुनि ने संघ को एक सूत्र में रहने का संकल्प कराया। इस मौके पर बाबूलाल मेहता , कांतिलाल कोठारी उमरावबाई व घीसूलाल बाफना सहित श्रावक श्राविकाएं मौजूद थे।