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Acharya Mahashraman- साधु दो प्रकार के: एक प्रमत्त संयत और दूसरे अप्रमत्त संयत- आचार्य महाश्रमण

चूरू. छापर. चातुर्मास प्रवास स्थल परिसर में बने आचार्य कालू महाश्रमण समवसरण में शनिवार को आचार्य महाश्रमण ने कहा कि साधु दो प्रकार के होते हैं - एक प्रमत्त संयत और दूसरे अप्रमत्त संयत। प्रमत्त संयम केवल छठे गुणस्थान वाले साधु होते हैं।सातवें गुणस्थान वाले साधु अप्रमत्त संयत वाले होते हैं। आठवें गुणस्थान से लेकर चौदहवें गुणस्थान तक अप्रमत्त संयत बना रहता है।

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चूरू

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Vijay

Sep 18, 2022

Acharya Mahashraman- साधु दो प्रकार के: एक प्रमत्त संयत और दूसरे अप्रमत्त संयत- आचार्य महाश्रमण

Acharya Mahashraman- साधु दो प्रकार के: एक प्रमत्त संयत और दूसरे अप्रमत्त संयत- आचार्य महाश्रमण

आठवें गुणस्थान से लेकर चौदहवें गुणस्थान तक अप्रमत्त संयत बना रहता है।
आचार्य का चातुर्मास: आचार्य कालू महाश्रमण समवसरण में शनिवार को आचार्य महाश्रमण के प्रवचन
चूरू. छापर. चातुर्मास प्रवास स्थल परिसर में बने आचार्य कालू महाश्रमण समवसरण में शनिवार को आचार्य महाश्रमण ने कहा कि साधु दो प्रकार के होते हैं - एक प्रमत्त संयत और दूसरे अप्रमत्त संयत। प्रमत्त संयम केवल छठे गुणस्थान वाले साधु होते हैं।सातवें गुणस्थान वाले साधु अप्रमत्त संयत वाले होते हैं। आठवें गुणस्थान से लेकर चौदहवें गुणस्थान तक अप्रमत्त संयत बना रहता है।
प्रश्न किया गया कि प्रमत्त संयम में रहने वाले साधु कितने काल तक रह सकता है? उत्तर दिया गया कि प्रमत्त संयत एक जीव की दृष्टि से देखा जाए तो एक समय अन्यथा अनेक जीवों के लिए देखें तो प्रमत्त संयत साधु हमेशा रहते हैं। दूसरा प्रश्न हो सकता है कि अप्रमत्त साधु कितने काल तक रह सकता है? उत्तर दिया गया कि एक जीव की अपेक्षा जघन्य अंतर मुहूर्त और अनेक जीवों के लिए देखें तो हमेशा अप्रमत्त संयत साधु उपलब्ध होते हैं। इस प्रकार अनेक तात्त्विक बातें भगवती सूत्र से प्राप्त होती हैं।
आचार्य ने कालूयशोविलास के आख्यान शृंखला को आगे बढ़ाते हुए परम पूज्य कालूगणी के अपनी अस्वस्थ माताजी को दर्शन देने के लिए बीदासर पधारने, वहां से पुन: सरदारशहर में मर्यादा महोत्सव के जाने, वहां 9 दीक्षा प्रदान करने सहित लाडनूं में प्रवेश करने तक के आख्यान का संगान के साथ स्थानीय भाषा में आख्यान प्रस्तुत किया। आचार्य ने कहा कि आज अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद का स्थापना दिवस होता है। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद भी खूब आध्यात्मिक/धार्मिक विकास करती रहे। आज भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी का जन्मदिन भी है। राजनीति की दृष्टि से भारत का प्रधानमंत्री होना भी एक महत्त्वपूर्ण बात होती है। भारत में अध्यात्म, धर्म, नैतिकता, ईमानदारी का भी विकास होता रहे। मोदीजी से साक्षात् मिलना तो इन वर्षों में नहीं हुआ है, किन्तु ऑनलाइन माध्यमों से अनेक बार उनका भाषण आदि हुआ है।
आचार्य महाप्रज्ञ की गुजरात यात्रा के दौरान जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उनसे साक्षात रूप में मिलना और थोड़ा वार्तालाप का क्रम भी चला था। आज उनका जन्मदिवस है। उनका जीवन भी खूब अध्यात्म, धर्म से युक्त रहे। खूब चित्त समाधि, शांति में रहें। खूब धार्मिक, आध्यात्मिक उन्नति होती रहे। भारत का भी आध्यात्मिक, धार्मिक वैभव बढ़ता रहे, सुरक्षित रहे। जनता में संतोष, व शांति रहे। प्रधानमंत्री के जन्मदिवस पर हमारी आध्यात्मिक मंगलकामना।