परकोटे के भीतर की स्थिति विचित्र
सामाजिक सरोकार से जुड़े युवा सुनील भाउवाला से यूं की चर्चा चली तो वे कहते हैं आइए गढ़ की वास्तविक स्थिति दिखाए। ज्योंही गढ़ के मुख्य द्वार से प्रवेश करते हैँ तो इसके एक विशालकाय द्वार लगा हुआ, तो दूसरी ओर का द्वार गायब है। द्वार गायब है तो है सो है, लेकिन कहा गया कौन ले गया इसका किसी को पता नहीं है। इसी के पास बनी होलसेल भण्डार की दवा की दुकानें। इसी से थोड़ा आगे किसी जमाने में सैनिकों के आवास थे जो बाद में पुलिस कर्मचारियों का आवास रहा। इसी के पास कोतवाली भवन और फिर नया कोतवाली भवन के साथ ही पुलिस कर्मचारियों के लिए बने तीन मंजिला आवासीय भवन। इसी दौरान आसपास खड़े लोग कहते हैं आने वाले सैलानियों के लिए यहां देखने लायक यही है। यह भी पढ़ें
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कोई भी महकमा आ जाए कोई मनाही नहीं
शहरवासी कहते हैं कि यह गढ़ परिसर ऐसा है कि यहां कोई भी महकमा आ जाए कोई मनाई नहीं है और ना ही कोई टोकनेवाला। हालांकि बागला डिस्पेंसरी पुराने समय से स्थापित है। यह डिस्पेंसरी वहां है, जहां कभी राजा बैठा करते थे। अस्पताल का गुंबद से सृजित यह भवन गढ़ का प्राचीन भवन है, जहां चिकित्सक और चिकित्साकर्मी रोगियों को देखते हैं। कहते है यहां जलदाय विभाग ने उच्च जलाशय बना दिया तो कोई टोकने वाला नहीं था। जलाशय भी वहां बनवाया गया जहां कभी राजसी परिवार का आवास हुआ करता था। वह आवास तो अब जमीजोंद हो गया और वहां बनी पानी की टंकी और गार्ड की जगह उग रहे झाड़-झंखाड़ के बीच जहां तहा बिखरी पड़ी गंदगी इसे बदरूप किए हुए है।विकास पुरुष श्योजी सिंह की लगे प्रतिमा
ठाकुर श्योजि सिंह चूरू के राजा नहीं बल्कि विकास पुरुष थे जिन्होंने अपने कार्यकाल में चूरू को एक नया स्वरूप दिया। उनके समय में किया गया विकास आज भी बोलता है, लेकिन इसके बावजूद गढ़ में उनका क्या है, यह कहीं चित्रांकित नहीं है। कवि मंगल भारती और यहां पर मिले युवा कहते हैं कि गढ़ परिसर में बची खाली जमीन में पार्क बनाकर उनकी प्रतिमा लगानी चाहिए ताकि आने वाली संतति न केवल उनके बल्कि चूरू के इतिहास को जानने के प्रति उत्सुक हो।बच गया अस्तबल और कोटड़ी
प्राचीन गढ़ में बना अस्तबल और कोटड़ी आज भी अस्तित्व में है। अस्तबल की मरमत आदि भी की गई है, लेकिन उसमें पुलिस कोतवाली का सामान पड़ा बताया जाता है। कोटड़ी में कभी राजा फरियाद सुना करते थे, उसकी भी मरम्मत करवाई है। निर्माण कार्य के दौरान इन्हें फिर से मूल स्वरूप मिला है। यह भी पढ़ें