बीजेपी को नसीहत-काका से पिंड छुड़ा लो…सुख पाओगे
कांग्रेस नेता राहुल कस्वां ने कहा कि काका के खाज हो गई। यह खाज पिछले 10-15 वर्ष से हैं। इस बार दोबारा शुरू हुई तो पार्टी को मेन्यूप्लेट करते हुए मुझे पार्टी से निकलवाने का कार्य किया। मैं यह ही कहना चाहूंगा कि जनता बहुत समझदार है काकाश्री। आपकी खाज पहले तारानगर में मिटाई थी। चूरू की जनता ने खाज दोबारा मिटा दी है। अभी भी कोई कसर रह गई है तो फिर मिटेगी। मैं बीजेपी को भी कहना चाहूंगा कि काका से पिंड छुड़ा लो…सुख पाओगे। सूपड़ो साफ पहले ही कर चुके हैं। हरमाड़ा से लेकर गंगानगर तक एक भी एमएलए जीत कर आयो… हो तो बताओ। काका के हवाले बीजेपी ने पूरी सीटें सौंप दी थी। इस बार फिर से वहीं हुआ है।
राहुल कस्वां ने जीत के जनता को कहा-शुक्रिया
कांग्रेस का जो बहुमत दिख रहा है। वह सबके सामने है। जनता में यह संदेश है। काका जैसी सोच के लोगों के खिलाफ जनता एकमुस्त होकर खड़ी है। टकराव करेगी। यह खाज मिटा दी गई है। जनता तो कर दियो काम। मैं धन्यवाद देना चाहता हूं यहां की जनता को और मेरे पिता रामसिंह कस्वा को। उम्मीद से परे मुझे जनता का आर्शीवाद मिला है। कांग्रेस ने प्रचार के दौरान पूरी गरीमा बनाए रखी। मंच से कोई भी ओछी हरकत नहीं की गई। रेलवे, हाइवे, किसानों से जुड़े मुद्दों पर उन्होंने हमेशा कार्य किया है। इस बार भी विकास के कार्य पर पूरा फोकस रखा जाएगा।
क्या है राठौड़ व कस्वां के बीच सियासी अदावत?
लोकसभा चुनाव से पहले राहुल कस्वां बीजेपी में थे। करीब डेढ दशक पूर्व तक पूर्व सांसद रामसिंह कस्वां व राजेंद्र राठौड़ एक थे। यहां दोनों के बीच संबंधों को राम लखन की जोड़ी बताया जाता था। इसके बाद ऐसी बिगड़ी की दोनों की पार्टी एक लेकिन राह अलग हो गई। दोनों कभी एक मंच पर नजर नहीं आए। धीरे-धीरे राजेंद्र राठौड़ का बीजेपी में वर्चस्व बढ़ता चला गया। लेकिन, साल 2023 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद राजेंद्र राठौड़ ने हार का ठीकरा राहुल कस्वां पर फोड़ और कई बार जयचंद कहा। लेकिन, जब राहुल कस्वां का बीजेपी ने टिकट काट दिया तो दोनों के बीच दूरियां ज्यादा ही बढ़ गई और दोनों खुलकर एक-दूसरे पर हमला बोलने लगे। हालांकि, राहुल कस्वां ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और चूरू से एक बार फिर जीत दर्ज कर ली है।