क्रीडा परिषद के अध्यक्ष जेसी मोहंती ने परिषद के सहायक अभियंता को यहां भेजकर पूरे मामले की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कराई। मोहंती ने यहां तक कह दिया था कि यदि सुधार नहीं करवाया जाता है और शेष कार्यों को पूरा नहीं किया जाता है तो संबंधित पर एफआईआर दर्ज कराओ। इसके बाद सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों की नींद खुल गई। खामियों को दूर कराने और शेष कार्यों को पूरा कराने का काम शुरू कर दिया। तरणताल के जरूरी कार्यों को पूरा कर ट्रॉयल (परीक्षण) शुरू कर दिया गया।
ट्रॉयल के बाद पूरे होंगे कार्य
जिला कलक्टर ललित कुमार गुप्ता ने कहा कि पानी भर कर प्ररम्भिक ट्रायल शुरू कर दिया गया है। दो दिन के ट्रॉयल के बाद जो भी मरम्मत कार्य सामने आएंगे उसे शीघ्र ही सही करवाकर पूरी तरह से शुरू करवा दिया जाएगा। इसके अलावा सीटिंग चीयर्स का भी मरम्मत कार्य भी शीघ्र ही पूरा करवाया जाएगा।तरणताल में लाइटिंग का कार्य बाकी है वह भी पूरा करवाया जाएगा।
निजी संवेदक से चलवाने के निर्देश
कलक्टर ने जिला खेल अधिकारी ईश्वरसिंह लांबा को तरणताल किसी निजी संवेदक से शुरू कराने का निर्देश दिया। तरणताल में शुल्क देने के बाद ही प्रवेश मिलेगा। जिला खेल अधिकारी के मुताबिक 30 रुपए प्रति घंटा शुल्क निर्धारित किया गया है। संचालन के लिए महिला व पुरुष प्रशिक्षक लगाए जाएंगे। इसके अलवा टेक्निशियन भी लगाए जाएंगे। इस मौके पर साई कोच रमेश पूनिया, सानिवि एक्सई एईएन आरके शर्मा, एईएन बजरंग लाल सोनी, जेईएन विजया प्रताप कस्वां, आर के कंस्ट्रक्शन कंपनी के रोशन भाटी व रइस भाटी, प्रशिक्षक राजदीप लांबा, मनीष राठौड़, तथा जगदीश इलेक्ट्रिक स्टोर कंपनी के प्रतिनिधि मौजूद थे।
करीब 72 लाख रुपए खर्च
तरणताल के निर्माण पर करीब 72 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं लेकिन उपयोग नहीं हो रहा था। बर्बाद हो रहे लाखों रुपए के मामले को राजस्थान पत्रिका ने 11 मई के अंक में ‘सानिवि अधिकारियों के लिए मंत्री, सचिव व कलक्टर सभी संतरी के बराबर!’ 18 मई को ‘सुधार करें, नहीं तो दर्ज होगी एफआईआरÓ तथा 19 मई को ‘तरणताल शुरू करने की कवायद’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर मामले को गंभीरता से उठाया। इसके बाद धूल फांक रहा तरणताल इस स्थिति में पहुंच पाया है।