खेत में बने कुएं से पानी डीजल इंजन अथवा मोटर पंप से निकालकर जल हौज में संग्रहित किया जाता है।हौज में संग्रहित पानी से बूंद-बूंद सिंचाई अथवा फव्वारा सिस्टम से फसलों की सिंचाई की जाती है। ऐसे में केवल रात के समय ही बिजली सप्लाई मिलने के दौरान सिंचाई करनी किसान की मजबूरी होती है। मगर किसान पहले जल हौज में पानी संग्रहित करके अपनी सुविधा के अनुसार पानी का उपयोग कर सकता है। सीधे कुएं से सिंचाई करने पर अधिकतम १५ नोजल से सिंचाई की जा सकती है। वहीं जल हौज से अधिकतम २५ नोजल एक साथ चलाए जा सकते हैं।
योजना के तहत अनुदान लेने के लिए किसान को 30 फीट लंबा,20 फीट चौड़ा व छह फीट गहरा गड्ढ़ा खोदकर इसमें अंदर व बाहर से पक्का निर्माण करवाना पड़ेगा। निर्माण में सीमेंट, कंकरीट व ईंट का उपयोग किया जाना जरूरी है। जल हौज की दीवार व फर्श की मोटाई नौ इंच होनी चाहिए। कोनों में लोहे के सरिए लगाए जाने जरूरी है। इसके अलावा खेती में किसान का स्वयं का सिंचाई का कुआं, उस पर इंजन अथवा बिजली कनेक्शन तथा बूंद-बूंद या फव्वारा संयत्र स्थापित होना जरूरी है।
डा. राजकुमार कुल्हरी, उप निदेशक कृषि विभाग, चूरू
कमल पहाडिय़ा, कृषि अधिकारीकृषि विभाग चूरू
कृषि अधिकारियों के मुताबिक जल हौज योजना के तहत अब तक जिले के 350 किसान हौज का निर्माण करवा चुके हैं। खेतों में इनका सफलता पूर्वक उपयोग हो रहा है। गत वर्ष 55 किसानों ने जल हौज निर्माण के लिए आवेदन किए। जिनमें से 48 के खेतों में इनका निर्माण हो चुका है।