कृषि विभाग की योजना के मुताबिक काम हुआ तो जिले के सैंकड़ों किसान आगामी वर्षों में खुद के ब्रांड के नाम से जैविक गेहूं-बाजरा या अन्य फसलें बेचते नजर आएंगे। सामान्य गेहूं-बाजरा से करीब तीन गुना अधिक भाव मिलने से किसानों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। इसके लिए कृषि विभाग ने परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत किसानों से वृहद स्तर पर जैविक खेती करवाने का काम हाथ में लिया है। वर्ष 2015 में केंद्र सरकार की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की गई इस योजना की सफलता के बाद अब इसे वृहद स्तर पर अपनाया जा रहा है। कृषि अधिकारियों के मुताबिक योजना के तहत जिले में 300 कलस्टर बनाकर किसानों से फसलों की जैविक खेती करवाई जाएगी। प्रत्येक कलस्टर20 हैक्टयेर का होगा। ऐसे में जिलेभर में कुल छह हजार हैक्टेयर में जैविक गेहूं, बाजरा, चना, सरसों या अन्य फसलों की खेती करवाई जाएगी। तीन साल तक कृषि विभाग की निगरानी में जैविक खेती करने के बाद विभाग किसान को जैविक उत्पाद तैयार करने का सर्टिफिकेट देगा। इसके बाद किसान अपनी फसल का ब्रांड बनाकर बाजार में बेच सकेगा। रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं होने से जैविक फसलें बाजार में सामान्य से तीन गुना से अधिक भाव पर बिकती है।
खाद-बीज प्रशिक्षण भी देंगे निशुल्क
योजना के तहत जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को विभाग की ओर से जैविक खाद व बीज निशुल्क मुहैया करवाए जाएंगे। किसान को अपने खेत में वर्मी कम्पोस्ट यूनिट तैयार करनी होगी। इसके लिए विभाग की ओर से पांच हजार रुपए का अनुदान देय होगा। वर्मी कम्पोस्ट के लिए केंचुएं अनुदान पर दिलाए जाएंगे।
कलस्टर के चारों तरफ एक-डेढ़ फीट ऊंची दीवार बनाकर बफर जोन बनाना होगा। इसके लिए १५०० रुपए प्रति हैक्टेयर अनुदान देय होगा। इसके अलावा विभाग की ओर से किसान को जैविक खेती करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
२८५० किसान कर रहे जैविक खेती
कृषि अधिकारियों के मुताबिक योजना के पायलट प्रोजेक्ट के तहत वर्ष २०१५ में २५ व २०१६ में ३२ कलस्टर में किसानों ने जैविक खेती की थी। वर्ष २०१७ में नए कलस्टर नहीं बनाए गए। फिलहाल जिले में दो हजार ८५० किसान जैविक खेती कर फसलों का उत्पादन ले रहे हैं।
&जिले के किसानों में जैविक खेती के प्रति रूझान बढ़ रहा है। योजना के तहत इस बार ३०० कलस्टर तैयार कर किसानों से जैविक खेती करवाई जाएगी।
कुलदीप शर्मा, कृषि अधिकारी, कृषि विभाग, चूरू
योजना के तहत जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को विभाग की ओर से जैविक खाद व बीज निशुल्क मुहैया करवाए जाएंगे। किसान को अपने खेत में वर्मी कम्पोस्ट यूनिट तैयार करनी होगी। इसके लिए विभाग की ओर से पांच हजार रुपए का अनुदान देय होगा। वर्मी कम्पोस्ट के लिए केंचुएं अनुदान पर दिलाए जाएंगे।
कलस्टर के चारों तरफ एक-डेढ़ फीट ऊंची दीवार बनाकर बफर जोन बनाना होगा। इसके लिए १५०० रुपए प्रति हैक्टेयर अनुदान देय होगा। इसके अलावा विभाग की ओर से किसान को जैविक खेती करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
२८५० किसान कर रहे जैविक खेती
कृषि अधिकारियों के मुताबिक योजना के पायलट प्रोजेक्ट के तहत वर्ष २०१५ में २५ व २०१६ में ३२ कलस्टर में किसानों ने जैविक खेती की थी। वर्ष २०१७ में नए कलस्टर नहीं बनाए गए। फिलहाल जिले में दो हजार ८५० किसान जैविक खेती कर फसलों का उत्पादन ले रहे हैं।
&जिले के किसानों में जैविक खेती के प्रति रूझान बढ़ रहा है। योजना के तहत इस बार ३०० कलस्टर तैयार कर किसानों से जैविक खेती करवाई जाएगी।
कुलदीप शर्मा, कृषि अधिकारी, कृषि विभाग, चूरू