दसवीं में दो बार फेल
जानकारी के आया है कि अंजू बचपन से ही तेजतर्रार थी। उसकी पढ़ाई में ज्यादा रुचि नहीं थी। वह दसवीं कक्षा में लगातर दो बार फेल हो गई। उसके बाद भादरा की निजी शिक्षण संस्था के माध्यम से ओपन स्कूल शिक्षा से जैसे तैसे सीनियर पास की। फिल्मों में पुलिस का रौब देखकर उसने थानेदार बनने की सोची। इस तरह चार साल पहले वह स्वयं दिल्ली पुलिस की नकली थानेदार बन गई।
भाई को बनाया पहला शिकार
अंजू ने बताया कि थानेदार की वर्दी में वह किसी भी गाड़ी को रोक लेती थी। कभी उगाही करती तो कभी कुछ दिन के लिए गाड़ी अपने पास रख लेती। इसी दौरान और अधिक पैसा कमाने की लालसा में उसने दिल्ली पुलिस में नौकरी के नाम पर ठगी करना शुरू कर दिया। इसमें सबसे पहला शिकार उसका मामा का बेटा ही बना। जिससे उसने दस लाख रुपए ठग लिए। एक बार शुरू हुआ यह खेल चलता रहा और उसने दर्जनों लोगों से अब तक करोड़ों रुपए की ठगी कर ली।
10 से 30 लाख में डील
पूछताछ में अंजू ने बताया कि वह शिकार को पुलिस की वर्दी और बड़े अधिकारियों से अच्छे संपर्क की बात करके फंसाती थी। उन्हें दिल्ली पुलिस में सिपाही, ड्राईवर, रसोईया आदि पदों पर भर्ती के नाम पर पैसे लेती। वह अपने शिकार से उसकी हैसियत के अनुसार 10 से 30 लाख रुपए तक वसूल करती थी। कोई भी पीड़ित वर्दी के चलते उससे उलझने की कोशिश नहीं करता था।
ऐसे आई पकड़ में
साहवा थानाधिकारी अल्का बिश्नोई ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से सूचनाएं मिल रही थी कि गांव देवगढ में एक युवती अपने आप को दिल्ली पुलिस में सब इंसपेक्टर बताती है। दिल्ली पुलिस में पैसे लेकर नौकरी लगाने की बात करती है तथा वर्दी पहने कभी हरियाणा तो कभी राजस्थान नम्बरों की गाड़ियों में घूमती है। जिस पर पुलिस ने जांच कर अंजू शर्मा को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। यहां थोड़ी सख्ती दिखाने पर उसने दिल्ली पुलिस की सब इंसपेक्टर बनकर ठगी करने की बात स्वीकार कर ली।