खेत को बना दिया हरा-भरा
राजेन्द्रसिंह पारम्परिक खेती के साथ अरड़ू आदि के पौधे लगाकर खेत को हरा भरा बगीचा बना दिया है। राजेन्द्रसिंह ने बताया कि परिजनों के विरोध के बावजूद उसने अरड़ू के पौधे लगा दिए। लगातार परवरिश से खेत में लगाए गए पौधे आज पेड़ बन गए हैं। उन्होंने बताया कि अरड़ू के पत्ते को बकरियां व ऊंट चाव से खाते हंै। वहीं झडऩे वाले पत्तों से शानदार खाद बन रही है। 18 फीट की दूरी में पेड़ लगाने के कारण ट्रेक्टर से अन्य फसलों की बुवाई की जाती है। उन्होंने बताया कि मिलिया दुबिया के 500 पौधे लगाए गए।
2015 में लगाए थे पौधे, आज बन गए पेड़
परिजन ने बहुत विरोध किया लेकिन राजेन्द्रसिंह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में जुट गए। 2015 में लगाए पेड़ आज हरियाली से लहलहाते नजर आ रहे हैं। इन पेड़ों से न केवल पर्यावरण सुधरा बल्की किसान को इन पेड़ों से पर्याप्त मात्रा में चारा व ईंधन मिल रहा है। अरडू के पेड़ तैयार होने पर इनकी ब्रिकी से किसान को लाखों की आय की उम्मीद हैं। लगातार परवरिश से खेत में लगाए ये पौधे आज पेड़ बन चुके हैं। राठौड़ के खेत में सात सौ खेजड़ी, 100 झाड़ी, 100 शीशम के पेड़ लगे है। राजेन्द्रसिंह ने चौधरी हर्बल कंपनी से संपर्क कर बुधवार को 500 पौधे मिलिया दुबिया के लगाए जो 6 वर्ष में 70-80 फीट लंबाई हो जाएगी। ये पौधे महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में बड़ी संख्या में लगाए जा चुके ।