script28 माह में डीबीएच में पहुंचे 774 ब्रेन स्ट्रोक के मरीज | 774 brain stroke patients who reached DBH in 28 months | Patrika News
चूरू

28 माह में डीबीएच में पहुंचे 774 ब्रेन स्ट्रोक के मरीज

देश में साढ़े16 लाख से अधिक लोग प्रतिवर्ष हो रहे बे्रन स्ट्रोक का शिकार, मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बना, युवा पीढ़ी में भी बढ़ रह स्ट्रोक

चूरूOct 29, 2018 / 02:41 pm

Rakesh gotam

churu medical news

28 माह में डीबीएच में पहुंचे 774 ब्रेन स्ट्रोक के मरीज

चूरू.

तेजी से बढ़ता धूम्रपान का चलन, अधिक एल्कोहल का सेवन, मोटापा व अत्यधिक तनाव आज हर आयु वर्ग के लोगों को ब्रेन स्ट्रोक की बीमारी बांट रहा है। देश में प्रतिवर्ष साढ़े 16 लाख से अधिक लोग बे्रन स्ट्रोक का शिकार हो रहे हैं। इसमें एक तिहाई लोगों की मौत भी हो जाती है। इसकी चपेट में आने वाले करीब 40 फीसदी लोग विकलांग हो जाते हैं। पश्चिीमी देशों की बजाय भारत में स्ट्रोक की घटनाएं अधिक हो रही हैं। महिलाओं व युवाओं में भी स्ट्रोक की बीमारी तेजी से बढ़ी है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक 2002 में 10 लाख81 हजार480 स्ट्रोक मरीज थे जबकि २०१५ में बढ़कर 16 लाख67 हजार372 स्ट्रोक मरीज हो गए। वहीं राजकीय डेडराज भरतिया अस्पताल में जून 2016 से अब तर774 बे्रन स्ट्रोक के मरीज आ चुके हैं।
जानिए क्या है ब्रेन स्ट्रोक

दिमाग की आर्टरी में ब्लॉकेज को ब्रेन स्ट्रोक कहते हैं। इससे मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है। इससे मस्तिष्क के ऊतकों को ऑक्सीजन और पोषक तत्व जो मिलने चाहिए वो नहीं मिल पाते। इसकी वजह से मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं और व्यक्ति स्ट्रोक का शिकार हो जात है। इसे लकवा, ब्रेन स्ट्रोक या मस्तिष्क दौरा भी कहते हैं। यह हार्ट अटैक की तरह ही होता। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति में हो सकता है। भारत में युवा रोगियों में मस्तिष्क का दौरा आम हो गया है।
ब्रेन अटैक को कैसे पहचाने
चेहरे का एक तरफ का भाग लटक जाता है व सुन्न होने लगता है। एक तरफ के हाथ-पैर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। शरीर को कोई भी अंग अचानक काम करना बंद कर देता है। बोलने में व्यक्ति लडख़ड़ाने लग जाता है। सुबह उठने के बाद कई बार हाथ काम नहीं करते। चक्कर आने लगते हैं, एक व दोनों आंखों से कम दिखाई देना। तेज सिर दर्द, जी मिचलाना, उल्टी होना, मुह तिरछा होना, धुंधला दिखना, किसी चीज को समझने में तकलीफ होना।
कारण और रिस्क फैक्टर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मुताबिक मानसिक तनाव ब्रेन स्ट्रोक का सबसे बड़ा कारण है। 17 फीसदी लोग मानसिक तनाव की वजह से ब्रेन स्ट्रोक का शिकार हो जाते हैं। गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन, अधिक एल्कोहल लेना, प्रदूषण व धूम्रपान स्ट्रोक का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। इसके अलावा क्लीनिकल इन्फेक्सन, सर्जरी, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अधिक कोलेस्ट्रोल, मोटापा, हृदय की बीमारियां, पारिवारिक में कुछ पीढिय़ों से यह रोग होना। इससे बचने के लिए खान-पान के साथ नियमित रहन-सहन पर ध्यान देना होगा।
मेडिकल कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डा. मोहम्मद आरिफ ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार के होते हैं। पहला माइनर स्ट्रोक जिसे ट्रांसीयर इश्चेमिक स्ट्रोक नाम से जाना जाता है। इसमें मरीजो को बोलने में दिक्कत होती है, एक तरफ का हिस्सा काम करना बंद कर देता है। यह अक्सर 24 से 48 घंटे में टीक हो जाता है।85 प्रतिशत स्ट्रोक इसी प्रकार के होते हैं। थ्रोम्बोलाइसिस दवाओं से तुरंत उपचार कर सकते हैं। न्यूरो प्रोटेक्शन दवा लें। व्यायाम करें, रक्तचाप नियंत्रित रखें, खून पतला करने की दवा लें। भरतिया अस्पताल में 28माह में 598मरीज आए हैं। दूसरा स्ट्रोक है ब्रेन हैमरेज। 15 प्रतिशत स्ट्रोक बे्रन हैमरेज के होते हैं। इसमें भरतिया अस्पताल में 28माह में 1476मरीज आए हैं। यह चार प्रकार का होता है। इसमें दिमाग की नस फट जाती है, रक्तस्राव होना, दिमाग के ऊपरी व निचले स्तह पर रक्त स्राव, मस्तिष्क के बाहरी झिल्ली पर रक्तस्राव। इससे बोलना बंद हो जाता है। चेहरा टेढ़ा हो जाता है। ब्रेन स्ट्रोक अधिकतर सुबह के समय आता है। क्योंकि उस समय ब्लड प्रेशर अधिक होता है।

Hindi News / Churu / 28 माह में डीबीएच में पहुंचे 774 ब्रेन स्ट्रोक के मरीज

ट्रेंडिंग वीडियो