उन्होंने पूनमचंद को गालियां नहीं निकालने तथा वहां से चले जाने के लिए कहा लेकिन वह नहीं गया और गालियां निकालता रहा। इस पर चाचा भंवरलाल ने पूनमचंद को वहां से निकाल दिया। फिर पूनमचंद ने शाम करीब 7 बजे मुझे फोन कर कहा कि अपने चाचा व भाई को समझा लेने की धमकी दी। उसके बाद रात 9 बजे मेरे चाचा भंवरलाल मेरे घर से अपने घर जा रहा था। इस दौरान मैं गांव की स्कूल के पास दुकान पर खड़ा था।
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थोड़ी देर बाद स्कूल की तरफ से मारपीट व चिल्लाने की आवाज आई तो मैं स्कूल की तरफ दौड़ा। वहां देखा तो पूनमचंद कुल्हाड़ी से व विजयपाल मेघवाल लाठी से मेरे चाचा भंवरलाल पर हमला कर रहे थे। इस दौरान मेरा भाई किशनलाल भी आ गया, हम दोनों को देख वो दोनो भाग गए। इस दौरान चाचा भंवरलाल ने बेहोशी की हालत में बताया कि पूनमचंद व विजयपाल ने मेरे साथ मारपीट की है।
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बेहोशी की हालत में उन्हें अस्पताल लाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद भंवरलाल को बीकानेर रैफर कर दिया। जिसकी बीकानेर जाते समय परसनेऊ के पास मौत हो गई। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया। वहीं दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। मामले की जांच उप निरीक्षक माणकलाल डुडी कर रहे है।