चित्तौड़गढ़

राजस्थान के इस जिले में 40 बांधों में नहीं एक बूंद भी पानी, मेहरबान नहीं हुआ मानसून तो आ सकती है आफत

Rajasthan News : चित्तौड़गढ़ जिले के बाशिंदों और किसानों के लिए चिंता की खबर है। जल संसाधन विभाग के अधीन आने वाले जिले के 46 में से 40 बांध पूरी तरह सूख गए हैं।

चित्तौड़गढ़Jun 19, 2024 / 06:44 pm

Omprakash Dhaka

Chittorgarh News : चित्तौड़गढ़ जिले के बाशिंदों और किसानों के लिए चिंता की खबर है। जल संसाधन विभाग के अधीन आने वाले जिले के 46 में से 40 बांध पूरी तरह सूख गए हैं। इनमें जिले के प्रमुख गंभीरी, वागन और ओराई बांध भी शामिल हैं। अबकी बार मानसून मेहरबान नहीं हुआ तो पानी को लेकर संकट पैदा हो सकता है।
जिले में निम्बाहेड़ा क्षेत्र के गंभीरी बांध को किसानों की जीवन रेखा माना जाता है। मध्यप्रदेश के इलाकों में तेज बारिश होने पर इस बांध में पानी की आवक होती हैं। गंभीरी बांध की भराव क्षमता 23 फीट है। लेकिन, अभी यह बांध पूरी तरह से सूख चुका है। दूसरा बड़ा बांध डूंगला क्षेत्र का वागन है, जिसकी भराव क्षमता 16.40 फीट है, भी पूरी तरह से सूख चुका है। बेगूं क्षेत्र के ओराई बांध की क्षमता 31 फीट है और यह बांध भी सूखा पड़ा है।

इन बांधों में आरक्षित कर रखा है पानी

मावली क्षेत्र के बड़गांव बांध की क्षमता 25 फीट है। इसके मुकाबले बांध में 4.99 फीट, बस्सी बांध की क्षमता 36.09 फीट है और इसमें 1.64 फीट पानी बचा हुआ है। राशमी क्षेत्र के उचकिया बांध की भराव क्षमता 13 फीट है। इसमें अभी 6.69 फीट पानी बचा हुआ है। राशमी क्षेत्र के ही मातृकुंडिया बांध की क्षमता 468.50 एमआरएल है। इसके मुकाबले बांध में अभी 4.36 फीट पानी है। चित्तौड़गढ़ के मुख्य पेयजल स्त्रोत घोसुंडा बांध की भराव क्षमता 423 एमआरएल है और बांध में अभी 415.05 फीट यानी 72.04 एमसीएफटी पानी पेयजल के लिए प्रशासन ने आरक्षित किया हुआ है। इसके अलावा राशमी क्षेत्र के सोमी बांध की भराव क्षमता 8.20 फीट हैं और इसमें अभी 2.30 फीट पानी की उपलब्धता है।

यह छोटे बांध पूरी तरह रीते

जिले के छोटे बांधों में शामिल रूपारेल, मुरलिया, बाड़ी मानसरोवर, बनाकिया, डोराई, डिण्डोली, कपासन, सोनियाना, सांवरिया सरोवर, उचकिया, बोरदा, सालेरा, पिण्ड, सरोपा, सांकलखेड़ा, मोडिया महादेव, राजगढ़, लुहारिया, पारसोली, ऊंचा, भावलिया, देवलिया, मेवदा, रेण का नाका, सादी, अरनिया, खोखी, वागली, कालादेह, भंवर पीपला, कांकरया, धमाणा, आरणी, सरसी का नाका, पटोलिया, कुंवालिया व सांखेड़ा बांध भी पूरी तरह से सूख चुके हैं।
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अब आगे क्या

इन बांधों का पानी सिंचाई और पेयजल के लिए काम आता है। प्रशासन सबसे पहले पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करता है। इसके बाद पशुधन के लिए पेयजल और बाद में खेती के लिए पानी की व्यवस्था होती है। ऐसे में किसानों की चिन्ता खरीफ की बुवाई से पहले ही बढ़ गई है। यदि अबकी बार मानसून मेहरबान नहीं हुआ तो आमजन के साथ ही सिंचाई के लिए भी पानी का संकट आ जाएगा।

जिले के बड़े बांधों में पानी की उपलब्धता

बांध – भराव क्षमता (फीट में) – पानी की उपलब्धता

गंभीरी – 23 – 0

वागन – 16.40 – 0

ओराई – 31 – 0
बड़गांव – 25 – 4.99

बस्सी – 36.09 – 1.64

भोपालसागर – 18 – 0

मातृकुंडिया – 468.50 एमआरएल – 60.74 एमसीएफटी

घोसुंडा – 423 एमआरएल – 72.04 एमसीएफटी

रख-रखाव का काम पूरा, अब बारिश का इंतजार

जिले के सभी बांधों में मानसून से पहले रख-रखाव का काम पूरा कर लिया गया है। गंभीरी सहित अन्य बांधों के गेटों की जांच व मरम्मत का काम भी पूरा हो गया है। अब मानसून का इंतजार है।
– राजकुमार शर्मा, अधिशासी अभियंता, जल संसाधन विभाग चित्तौड़गढ़

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