चित्तौड़गढ़

राजस्थान के इस मंदिर में लोग जितना चढ़ाते हैं उनका खजाना उससे ज्यादा बढ़ता जाता है! कई देशों की विदेशी मुद्रा आती है भंडारे में

मेवाड़ राजपरिवार की ओर से इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था। मंदिर कृष्ण धाम के रूप में सबसे ज्यादा प्रसिद्द है…

चित्तौड़गढ़Jun 03, 2019 / 12:05 pm

dinesh

चित्तौडगढ़़।
राजस्थान के चित्तौडगढ़़ जिले के प्रख्यात कृष्ण धाम ( Lord Krishna Temple ) भगवान ‘सांवलिया सेठ‘ ( sanwaliya seth ) के मंदिर में चतुर्दशी के अवसर पर भंडार खोला गया। भंडार से प्रथम चरण की गिनती में 3 करोड़ 33 लाख, 30 हजार, 500 रुपये की राशि प्राप्त हुई। नोटों की गिनती में मंदिर मंडल सीईओ मुकेश कुमार कलाल, लेखा अधिकारी सतीश कुमार, तहसीलदार ईश्वर लाल खटीक, मंदिर मंडल अध्यक्ष कन्हैया दास वैष्णव सहित मंदिर मंडल कर्मचारी, बैंक कर्मी उपस्थित थे। छोटे नोटों की गिनती सोमवार को होंगी। भगवान सांवलिया सेठ का जेठी अमावस्या का मासिक मेला भी शुरू हो गया है। सोमवती अमावस्या मिलने के कारण सोमवार को श्रद्धालुओं की भीड़ आने की संभावना है। सीता माता का मेला होने के कारण इस मेले में भाग लेने वाले श्रद्धालु सांवलिया जी के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।
 

 

 

चित्तौडगढ़ के मंडफिया ( Mandpiya ) स्थित श्री सांवलिया सेठ का मंदिर ( sanwaliya seth temple ) करीब 450 साल पुराना है। मेवाड़ राजपरिवार की ओर से इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था। मंडफिया मंदिर कृष्ण धाम के रूप में सबसे ज्यादा प्रसिद्द है। यह मंदिर चित्तौडगढ़़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी एवं डबोक एयरपोर्ट-उदयपुर से 65 किमी की दुरी पर स्थित है। सांवलिया जी का संबंध मीरा बाई से बताया जाता है। मान्यता के अनुसार मंदिर में स्थित सांवलिया जी मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है जिनकी वह पूजा किया करती थी।
 

सांवलिया सेठ का संबंध मीरा बाई से ( Sanwaliya Seth Temple History )
भगवान श्री सांवलिया सेठ का संबंध मीरा बाई से बताया जाता है। किवदंतियों के अनुसार सांवलिया सेठ मीरा बाई के वही गिरधर गोपाल है जिनकी वह पूजा किया करती थी। मीरा बाई संत महात्माओं की जमात में इन मूर्तियों के साथ भ्रमणशील रहती थी। ऐसी ही एक दयाराम नामक संत की जमात थी जिनके पास ये मूर्तियां थी।
 

 

Sanwaliya Seth Temple
 

खेती से लेकर व्यापार व तनख्वाह में भी सांवलिया सेठ का हिस्सा
लोगों की सांवलिया जी को लेकर ऐसी मान्यता है जितना वे यहां चढ़ाएंगे सांवलिया सेठ उनके खजाने को उतना ज्यादा भरेंगे। ऐसे में कई लोगों ने अपने खेती से लेकर व्यापार व तनख्वाह में सांवलिया सेठ का हिस्सा रखा हुआ है। ऐसे लोग हर माह मंदिर आते हैं और उसके हिस्से की राशि चढ़ा देते हैं। यह राशि 2 से लेकर 20 फीसदी तक है।
 

विदेशों में भी है हिस्सेदार
सांवरिया सेठ मंदिर में आने वाले कई भक्त एनआरआई है। ये विदेशों में अर्जित आय से सांवरिया सेठ का हिस्सा चढ़ाते हैं। ऐसे में भारतीय रुपए के साथ अमरीकी डॉलर, पाउण्ड, रियॉल, दिनार और नाईजीरिया नीरा के साथ कई देशों की मुद्रा मंदिर के भंडारे में आती है।
Sanwaliya Seth Temple
 

हर महीने खुलता है मंदिर का भंडारा
सांवलिया सेठ जी मंदिर का भंडारा हर माह अमावस्या के 1 दिन पहले चतुर्दशी को खोला जाता है। इसके बाद अमावस्या का मेला शुरू हो जाता है। वहीं दीपावली के समय यह भंडारा दो महीने व होली के समय डेढ़ माह में खोला जाता है।
 

16 गांवों का विकास भी इसी राशि से
मंदिर में लोग रसीद कटाकर नंबर 1 में भी दान कर कर जाते हैं। यह राशि 30 से 70 लाख रूपय के बीच होती है। अधिकांश राशि सेवा कार्य में मंदिर ट्रस्ट को अर्जित होने वाली आय सेवा और विकास कार्य में उपयोग की जाती है। ट्रस्ट शिक्षा, चिकित्सा, धार्मिक आयोजन, विकास और मूलभूत सुविधाओं को विकसित करने में यह राशि खर्च करता है। ट्रस्ट ने मंडफिया के आसपास के 16 गांवों का विकास भी इसी राशि से करवा रहा है।
 

Sanwaliya Seth Temple
 

एक करोड़ लोग हर साल आते हैं दर्शन के लिए
सांवरिया सेठ की ऐसी मान्यता है जिसके कारण देश के कोने-कोने व विदेशों से हर साल करीब एक करोड़ लोग मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर के पुजारियों के अनुसार हर माह करीब साढ़े 8 से 9 लाख के बीच श्रद्धालु मंदिर में आते हैं।

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