चित्तौड़गढ़

सीए नहीं बन सका तो खेती को अपनाया, पहले सीजन में कमाए दस लाख रुपए

Cultivating Melons : चित्तौड़गढ़ जिले में धांगड़ मऊ गांव में रहने वाला निर्मल धाकड़ भले ही सीए बनने का सपना पूरा नहीं कर पाया हो, लेकिन खरबूजे की आधुनिक खेती ने उसे मालामाल कर दिया।

चित्तौड़गढ़Apr 16, 2023 / 04:12 pm

Kamlesh Sharma

Cultivating Melons : चित्तौड़गढ़ जिले में धांगड़ मऊ गांव में रहने वाला निर्मल धाकड़ भले ही सीए बनने का सपना पूरा नहीं कर पाया हो, लेकिन खरबूजे की आधुनिक खेती ने उसे मालामाल कर दिया।

जितेन्द्र सारण/चित्तौड़गढ़। समय अच्छे-अच्छों की पहचान बदल देता है। चित्तौड़गढ़ जिले में धांगड़ मऊ गांव में रहने वाला निर्मल धाकड़ भले ही सीए बनने का सपना पूरा नहीं कर पाया हो, लेकिन खरबूजे की आधुनिक खेती ने उसे मालामाल कर दिया। एक ही सीजन में दस लाख की आमदनी हुई तो दूसरे किसान भी प्रेरित हुए बिना नहीं रहे।

एक समय था जब निर्मल अपना भविष्य चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में देख रहे थे। वह सीए अंतिम वर्ष की परीक्षा नहीं दे पाए। अचानक इरादा बदला और तय कर लिया कि अब हाइटैक खेती में भाग्य आजमाना है।

निर्मल की मानें तो पहले कभी सालाना आय खींचतान करके भी चार लाख रूपए से ज्यादा नहीं रही पर खरबूजे की हाइटैक खेती ने पहली बार में ही दस लाख रूपए का मुनाफा दिला दिया। इसके बाद खेती का दायरा बढाना शुरू कर दिया। उद्यानिकी महाविद्यालय से हाइटैक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त कर पॉली हाउस भी लगा लिया। निर्मल का कहना है कि खरबूजे से हुई आय उसने पॉली हाउस लगाने में खर्च की है।

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खेती का दायरा बढ़ाया
संरक्षित खेती के साथ अब सब्जी फसलों की तरफ भी रूचि दिखाई है। खरबूजे की खेती पहले तीन बीघा क्षेत्र में सीमित थी पर अब इसको बढाकर पांच बीघा में कर दी है।

किसानों का आधुनिक खेती पर सरकार भी उत्साहवर्धन करती है। प्रगतिशील किसानों का समय-समय पर सम्मान, प्रशिक्षण आदि की भी व्यवस्था है।
डॉ. शंकरलाल जाट, उप निदेशक उद्यान, चित्तौड़गढ़

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