चित्तौड़गढ़

पांच हजार साल पुराना है नीलकण्ठ महादेव

चित्तौडग़ढ़. चित्तौडग़ढ़ दुर्ग पर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर भी आस्था का बड़ा केन्द्र है। यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर में महादेव की पूजा अर्चना के लिए पहुंचते है। सावन मास में इस मंदिर में विशालकाय शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना एवं शृंगार के साथ प्रतिदिन हजारों लीटर दूध से अभिषेक किया जाता है। प्रतिदिन तड़के पांच बजे इस मंदिर में विशेष अभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का पहुंचा शुरू हो जाता है।

चित्तौड़गढ़Jul 30, 2021 / 10:58 pm

Avinash Chaturvedi

पांच हजार साल पुराना है नीलकण्ठ महादेव

चित्तौडग़ढ़. चित्तौडग़ढ़ दुर्ग पर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर भी आस्था का बड़ा केन्द्र है। यहां पर प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर में महादेव की पूजा अर्चना के लिए पहुंचते है। सावन मास में इस मंदिर में विशालकाय शिवलिंग की विशेष पूजा अर्चना एवं शृंगार के साथ प्रतिदिन हजारों लीटर दूध से अभिषेक किया जाता है। प्रतिदिन तड़के पांच बजे इस मंदिर में विशेष अभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का पहुंचा शुरू हो जाता है।
षार्षद बालमुकन्द मालीवाल ने बताया कि यह मंदिर चित्तौडग़ढ़ के दुर्ग की एक पहाड़ी पर स्थिति है। मंदिर की ऊंचाई पर होने से यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य भी लोगों को काफी लुभाता है। मालीवाल बताते है कि करीब पांच हजार साल पुराना है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना करीब पांच हजार साल पहले हुई थी। यह भी मान्यता है कि जब पाण्डव अज्ञातवास में थे तो वे चित्तौडग़ढ़ दुर्ग पर आए थे और उस वक्त भीम ने इस विशालकाय शिवलिंग को भीम ने अपने बाजू पर बांधा था और प्रतिदिन वे इसे उतार के अभिषेक किया करते थे। इसके बाद भीम ने ही इस शिवलिंग को यहां पर स्थापित कर दिया। ऐसा भी कहाजाता है कि पाण्डव काल में चित्तौडग़ढ़ का नाम चित्रकूट हुआ करता था और इस मंदिर की स्थापना भीम ने की थी।
दस टन वजनी है शिवलिंग
नीलकंठ महादेव मंदिर का शिवलिंग का वजन करीब दस टन है। इसकी ऊंचाई ४.५ फीट है । वहीं इसका परिक्रमा भी करीब दस फीट की है। यह अपने आप में एक अनूठा शिवलिंग है।

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