नशे का कारोबार न केवल युवाओं के लिए बल्कि पूरे देश के लिए खतरा बन रहा है। मालवा-मेवाड़ क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति तस्करी के लिए मुफीद रास्ता बनाती है। यहां अफीम की खेती के कारण तस्कर आसानी से नशे की खेप राज्य के अन्य हिस्सों में पहुंचाते हैं।
इन तस्करों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि ये अक्सर पुलिस की गिरफ्त में नहीं आते यदि आ भी गए तो ले-देकर निकल जाते हैं। डोडा चूरा और अफीम का कारोबार युवाओं के खून में जहर घोल रहा है। कुछ स्थानीय लोगों के इस काले कारोबार में शामिल होने से समस्या और जटिल हो गई है।
नारकोटिक्स विभाग
कोटा व चित्तौडग़ढ़ टीम ने 23 सितंबर को प्रतापगढ़ में पारलिया गांव के पास ट्रक से 5663 किलो (पौने दो करोड़ रुपए) का डोडा चूरा जब्त किया। इसे मारवाड़ फलौदी ले जाया जा रहा था। चित्तौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा-मंगलवाड़ मार्ग स्थित चिकारड़ा बस स्टैंड पर 18 सितंबर को मध्यप्रदेश की केंद्रीय नारकोटिक्स टीम ने एक ट्रेलर से 2129.320 किलोग्राम डोडा चूरा जब्त किया है। खेप जोधपुर की ओर ले जाई जा रही थी।
निम्बाहेडा सदर थाना पुलिस ने 12 सितंबर को नीमच-चित्तौड़गढ़ मार्ग पर 33 क्विंटल से अधिक डोडा चूरा (कीमत पांच करोड़) जब्त किया गया। डोडा-चूरा पंजाब की ओर ले जाया जा रहा था।
सीपीएस पद्धति हो लागू
सीपीएस
पद्धति में नारकोटिक्स विभाग डोडा समेत ही किसानों से लेता है। ऐसे में पूरी तरह सीपीएस पद्धति लागू हो तो डोडा चूरा तस्करी पर लगाम कस सकती है। वहीं, पुरानी ठेका पद्धति से खेती भी तस्करी पर लगाम लगा सकती है।
आशंका है कहीं छिड़ न जाए ‘मैक्सिकन ड्रग वॉर’
चित्तौड़गढ़ होकर बड़ी मात्रा में अफीम और डोडा चूरा की तस्करी बड़ी समस्या है। अब आशंका यहां मैक्सिकन ड्रग वॉर के हालात उत्पन्न होने की है। ड्रग पैडलर्स एक-दूसरे को कमजोर करने के लिए हिंसा पर उतारू रहे हैं। ऐसे में यहां विशेष सावधानी बरती जाने की आवश्यकता है।
मुखबिरों के जरिए तस्करों पर रखी जा रही नजर
चित्तौड़गढ़ और एमपी का क्षेत्र अफीम पैदा करता है। ऐसे में यहां से तस्करी की आशंका रहती है। पुलिस कार्रवाई कर अक्सर डोडा चूरा या अफीम जब्त कर रही है। मुखबिरों के जरिये तस्करों की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ लोगों को भी जागरूक किया जाता है। – सुधीर जोशी, पुलिस अधीक्षक, चित्तौड़गढ़