हरियाणा पुलिस किसी साइबर ठगी के मामले में चित्तौडग़ढ़ आई हुई है, जिसने प्रदीप बैरवा को पकड़ लिया है। प्रार्थी ने संदेश में लिखा कि हरियाणा पुलिस प्रदीप को छोडऩे के दो लाख रुपए मांग रही है। प्रार्थी व प्रदीप की बहन सोनू व मुकेश खटीक ने हरियाणा पुलिस से आग्रह किया तो राशि कम कर 70 हजार रुपए कर दी। बाद में पचास हजार रुपए देने की सहमति बनी। एसीबी ने शिकायत का सत्यापन कराया तो आरोपी हेड कांस्टेबल राजेश कुमार ने बतौर रिश्वत 15 हजार रुपए ले लिए और कहा कि एक घंटे में शेष 35 हजार की व्यवस्था करके लाओ। परिवादियों ने एसीबी के अधिकारियों को बताया कि अभी उनके पास हरियाणा पुलिस को देने के लिए शेष राशि की व्यवस्था नहीं है।
राशि की व्यवस्था होते ही एसीबी कार्यालय में उपस्थित हो जाएंगे। इसके बाद तीन फरवरी 2024 को परिवादी मुकेश एसीबी कार्यालय पहुंचा, जहां उसके मोबाइल से हरियाणा पुलिस से बात हुई, जिन्होंने वापस हरियाणा जाने के लिए रवाना होना बताया। आरोपी हेड कांस्टेबल राजेश कुमार प्रदीप बैरवा को यहीं पर छोड़कर वापस चला गया। संभवत: आरोपियों को संदेह हो गया। ट्रेप की कार्रवाई संभव नहीं हो पाई। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सांदू ने इस संबंध में रिपोर्ट बनाकर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए एसीबी मुयालय को भेजी। इसके बाद ब्यूरो ने 23 मई 2024 को हेड कांस्टेबल राजेश कुमार के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।