चित्तौड़गढ़

बुराड़ी केस : वैज्ञानिक तरीके से सुलझेगा बुराड़ी की 11 मौतों का रहस्य, पुलिस अपनाने जा रही है ये बड़ा तरीका

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चित्तौड़गढ़Jul 08, 2018 / 04:41 pm

rohit sharma

चित्तौडग़ढ़।
दिल्ली के बुराड़ी में चित्तौडग़ढ़ के एक ही परिवार के 11 लोगों की आत्महत्या करने के मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। बुराड़ी मामले में रोज चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। हालांकि मामले को ज्यादा उलझने के बाद दिल्ली पुलिस ने इस केस तुरंत क्राइम ब्रांच को सौंप दिया। लेकिन मृतक के घर से मिले रजिस्टरों में लिखी बातें भी मामले की जाँच कर क्राइम ब्रांच की टीम को समस्या में डाल रही हैं।
 

इस नए तरीके से होगी अब जांच

बुराड़ी केस में रोज कुछ न कुछ नया मोड़ आ रहा है इसके चलते केस और भी ज्यादा उलझ गया है। इन्हीं उलझनों के चलते क्राइम ब्रांच भी अपनी जांच को नया मोड़ दे रही है। शवों का मनोवैज्ञानिक पोस्टमार्टम कराने का फैसला लिया है। परिवार की मानसिकता का पता लगाने के लिए ऐसा किया जाएगा। यह जानकारी सूत्रों से पता चली है। क्राइम ब्रांच ने जांच को नया मोड़ देते हुए अब इस मामले की जांच वैज्ञानिक तरीके से करने का मन बनाया है। अब इस मामले की जांच मनोवैज्ञानिक परीक्षण यानि साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी के द्वारा होगी।
 

 

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मृतकों के बारे में लग रहा है ये कयास

जानकारी के मुताबिक,साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी पोस्टमार्टम में परिवार के जीवित सदस्यों की मानसिकता और मृतक की दिमागी हालत की मैपिंग की जाती है। रजिस्टर से सामने आई कुछ बातों के बाद विशेषज्ञ मृतकों की मानसिकता के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। अभी तक की रिपोर्ट के अनुसार ये माना जा रहा है कि बुराड़ी केस में आत्महत्या करने वाला पूरा परिवार मनोविकृति का शिकार हो सकता है। इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हुई है लेकिन इसी संदेह के चलते जांच टीम इस मामले से पर्दा उठाने के लिए नई तकनीक अपनाना चाहती है।
अभी तक रजिस्टर में से बहार आई बातों से कयास लगाए जा रहे हैं कि परिवार जरूर मनोविकृति का शिकार हो सकता है। मनोविकृति में कोई एक व्यक्ति भ्रम का शिकार होता है और भ्रमपूर्ण मान्यताओं को मानता है साथ ही उससे जुड़े लोग भी भ्रम को मान्यता देने लगते हैं।
 

मनोवैज्ञानिक पोस्टमार्टम क्या है?

साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी या मनोवैज्ञानिक पोस्टमार्टम में आत्महत्या के कारणों को सुलझाने का एक तरीका है। इससे मृतक की आत्महत्या के वक्त दिमागी हालत, दोस्तों, परिचितों और फैमिली डॉक्टर से बात कर मृतक की मानसिकता का के बारे में पता किया जाता है। साथ ही इनकी सोशल लाइफ के बारे में भी तथ्य निकाले जाते है की सोशल मीडिया पर वे किस तरह के पोस्ट, चित्र, विचार साझा करते हैं। इन सब जानकारियों के आधार पर केस का अध्ययन किया जाता है। इस विशेष अध्ययन में केस की जांच कर रही जांच टीम, फॉरेंसिक टीम और मनोचित्सक शामिल होते है। आपको बता दें कि साईकोलॉजिकल ऑटोप्सी का इस्तेमाल कर पुलिस ने सुनंदा पुष्कर मर्डर मिस्ट्री मामले में भी किया था।

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