वह मानव स्वास्थ्य के लिए कतई सुरक्षित नहीं। कैल्शियम कार्बाइड नामक रसायन तो इतना खतरनाक है कि फलों के साथ उसके शरीर में जाने से लीवर और किडनी खराब हो सकते हैं। इसके अलावा कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी का जोखिम इस रसायन के शरीर में जाने से बढ़ जाता है।
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रसायनों से पकाया हुआ फल सेहत के लिए खतरा
पेड़ पर पका हुआ फल सेहत का खजाना है। वहीं, रसायनों से पकाया हुआ फल सेहत के लिए खतरा। केले को पकाने के लिए सरकार राइजनिंग चैंबर पर अनुदान देती है। यहां भी इन्हें बनाया जा सकता है। फलों को पकाने और उनको कई दिन तक ताजा रखने के लिए डीडीटी, इथरेल और जिब्रलिक का उपयोग किया जाता है। यह केमिकल इतने खतरनाक हैं कि इनसे त्वचा की गंभीर बीमारियां हो सकती है। टाइप-2 डायबिटीज, पीसीओडी का खतरा भी बढ़ सकता है। सेब को मंडी में लाकर कई महीनों तक कोल्ड स्टोर में रखा जाता है। इससे पहले इसका वैक्सीनेशन होता है। ताकि, ये ज्यादा समय तक खराब नहीं हो। ऐसे ही अंगूर को टिकाने के लिए डाइक्लोवास 26 ईसी नाम के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अंगूर को सुरक्षित रखने के लिए इस्तेमाल हो रहा यह केमिकल सेहत के लिए खतरनाक है।
जिस फल को कृत्रिम तरीके से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग किया जाता है उस पर दाग धब्बे पड़ जाते हैं। केले और आम पर यह दाग धब्बे स्पष्ट दिखाई देते हैं। छिलके पर छिड़काव किया हुआ यह रसायन बाद में भीतर तक चला जाता है। इस बार बाजार में केले आ रहे हैं, उन पर रसायन का छिड़काव इतना ज्यादा किया हुआ है कि केले पिलपिले होकर सड़ांध मारने लगे हैं। उसका स्वाद इतना खराब हो जाता कि खाने को जी नहीं करता।