चित्तौड़गढ़

Rajasthan: नाथद्वारा में बनेगा भव्य गायत्री धाम, 36 कौम के सहयोग से होगा निर्माण

Chittorgarh News: नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा स्थापित हुई और अब गायत्री धाम के रूप में सनातन परंपरा का आध्यात्मिक केंद्र भी नाथद्वारा शहर में स्थापित होने जा रहा है।

चित्तौड़गढ़Nov 14, 2024 / 12:33 pm

Alfiya Khan

Chittorgarh News: खमनोर। कहते हैं कि साधकों के संकल्प अधूरे नहीं रहते। प्रकृति उसे पूर्ण करने में सहयोग करती है। मां गायत्री के परम साधक देवलोकी पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के ऐसे ही दृढ़ संकल्प से प्रादुर्भूत प्रकल्प गायत्री धाम अब नाथद्वारा शहर में भी बनने जा रहा है। गायत्री धाम के निर्माण में सर्व समाज और 36 कौम के लोग अर्थ, श्रम और समयदानी बनेंगे।
अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक और गायत्री माता के सिद्ध साधक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने सन 1979 में देशभर में 24 गायत्री धाम बनाने का संकल्प लिया था। नाथद्वारा भी उन 24 संकल्प स्थलों में से एक था, जिसमें अब गायत्री धाम का निर्माण पूरा करने की शुरुआत होने जा रही है।
आचार्य के उस महासंकल्प की परिणीति 45 वर्षों बाद हो रही है। नाथद्वारा में पुष्टिमार्गी संप्रदाय की प्रधान पीठ है और इसके साथ ही अनेक ऐतिहासिक तथ्य यहां से जुड़े हैं। पिछले वर्ष ही नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा स्थापित हुई और अब गायत्री धाम के रूप में सनातन परंपरा का आध्यात्मिक केंद्र भी नाथद्वारा शहर में स्थापित होने जा रहा है।

गायत्री धाम में ये होंगे प्रमुख केंद्र

गायत्री धाम में वेदमाता गायत्री का भव्य मंदिर, वैदिक यज्ञशाला, प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर, माता भगवती भोजनालय व अन्न क्षेत्र, वेद विद्यालय, चिकित्सा केंद्र, गौशाला, प्रवचन व सत्संग पांडाल, विशाल युग निर्माण प्रदर्शनी, सद्साहित्य विस्तार केंद्र, यज्ञोपैथी शोध केंद्र, प्राकृतिक आभा से युक्त देवात्मा हिमालय का प्रतिरूप, साधकों के लिए साधना कुटिया, महिला स्वावलंबन एवं प्रशिक्षण केंद्र, जड़ी-बूटी उद्यान एवं विभिन्न वाटिकाएं होंगी।

गायत्री के अनन्य भक्त थे आचार्य

गायत्री के सिद्ध साधक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने गायत्री के 24-24 लाख के 24 महापुरुश्चरण संपन्न किए थे और उन्होंने ही अखिल विश्व गायत्री परिवार की स्थापना की थी। उन्होंने यज्ञ और संस्कार परपंरा का भारत के कोने-कोने में और जन-जन में विस्तार किया था। सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। आचार्य के अभियान ने गायत्री साधना और यज्ञ के माध्यम से सनातन को घर-घर पहुंचाया और हिंदू समाज के जागरण व एकीकरण का कार्य किया।
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संचालित होने वाली गतिविधियां

प्रथम चरण में मूलभूत सुविधाओं को जनसहयोग से विकसित किया जाएगा। वेदमाता गायत्री मंदिर में आदिशक्ति के मुख्य विग्रह सहित गायत्री की 24 शक्तियों के विग्रह प्रतिष्ठित होंगे, जहां उनकी पूरी जानकारी (लौकिक फलश्रुति, आध्यात्मिक फलश्रुति, मंत्र आदि) होगी।
वैदिक यज्ञशाला में नियमित रूप से यज्ञ एवं संस्कारों का क्रम चलेगा। भारतीय आध्यात्म पर वैज्ञानिक अनुसंधान हेतु शोध केंद्र की स्थापना होगी, जहां भारतीय संस्कृति में बताए गए 16 संस्कारों के कर्मकांडो, आध्यात्मिक अनुष्ठानों एवं मंत्र शक्ति से मानव शरीर पर पढ़ने वाले प्रभावों पर शोध होंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एक प्रदर्शनी भी होगी, जहां सनातन परंपरा के ग्रंथों, गायत्री की शक्तियों उनके प्रभावों के विज्ञान को डिजिटल स्वरूप में देखा व अनुभव किया जा सकेगा। धाम में संचालित होने वाले सभी सेवा प्रकल्प नि:शुल्क होंगे एवं जनसहयोग से चलेंगे। समाज के हर वर्ग के व्यक्ति की मुट्ठी से अर्थ, शरीर के श्रम और समयदान से इस केंद्र का निर्माण होगा।
पूज्य गुरुदेव के संकल्प कभी अधूरे नहीं रहे। उन्होंने जाति के बंधनों को तोड़कर गायत्री को और यज्ञ को जन-जन के लिए सुलभ किया। राष्ट्र के एकीकरण और उत्थान में गायत्री धाम नाथद्वारा महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगा। शांतिकुंज हरिद्वार के निर्देशन में सभी गतिविधियों का संचालन होगा तथा आध्यात्मिक नगरी नाथद्वारा में प्रभु श्रीनाथजी की कृपा से दिव्य धाम का जल्द ही निर्माण शुरु और पूर्ण होगा।
-हिमांशु पालीवाल, प्रतिनिधि, गायत्री परिवार राजसमंद
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