यह खुद सरकार कह रही है। क्योंकि 30 साल से ज्यादा उम्र का हर पांच से एक मरीज इन बीमारियों से ग्रसित है। राज्य सरकार भी इन बीमारियों को नॉन कयुनिकेबल डिजीज की श्रेणी में डालकर क्लीनिकल टेस्टिंग पर फोकस कर रही है।
मंत्री-एसीएस ने फिर उठाया मुद्दा
जोधपुर में कुछ दिन पूर्व चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर और एसीएस शुभ्रा सिंह ने संभाग स्तरीय चिकित्सा अधिकारियों की बैठक में नॉन कयुनिकेबल डिजीज में हाइपरटेंशन व डायबिटीज के आंकड़े पर गंभीरता बरतने को कहा है। इसका डाटा एकत्र कर ऑनलाइन किया जाएगा। यह भी पढ़ें
जयपुर में आज ट्रैफिक व्यवस्था में रहेगा बदलाव, घर से निकलने से पहले देख लें यह नया रूट
इस तरह आंकड़ों में समझें खतरा
● 30 से अधिक उम्र के लोगों को अलर्ट पर रखा गया है। ● 02 महीने में एक बार जांच के निर्देश दिए हैं। ● 57.93 लाख लोग राजस्थान में इस खतरे की जद में होंगे अगले साल तक। ● 05 में से 1 व्यक्ति इस नॉन कयुनिकेबल डिजीज से ग्रसित। ● 75 प्रतिशत लोगों को अस्पताल तक लाने का टारगेट। ● 40 प्रतिशत भी नहीं आते अभी जांच कराने।
चित्तौड़गढ़ में डेढ़ लाख लोगों की होनी चाहिए नियमित जांच
निदेशालय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया है कि 2025 तक हर पांच में से एक व्यक्ति बीपी-शुगर से ग्रसित होगा। राजस्थान में 30 साल से अधिक उम्र के 2.89 करोड़ लोग विभाग ने माने हैं और 2025 तक इनमें से 57.93 लाख लोग हाइपरटेंशन-डायबिटीज के मरीज होंगे। चित्तौड़गढ़ में भी करीब डेढ़ लाख लोग इन बीमारियों से ग्रसित होंगे। इनमें से 75 प्रतिशत का क्लीनिकल रिकॉर्ड रखा जाना जरूरी है। यानि डेढ़ लाख लोगों की नियमित जांच जिले में होनी चाहिए।