खराब गुणवत्ता की गवाही दे रही हैं गहरी दरारें
ग्लास ब्रिज को पवनसुत कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना रही है। ग्लास ब्रिज पर जहां उपकरण लगाए गए हैं वहां चबूतरों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई हैं। दरारों को देखकर ऐसा महसूस होता है कि गुणवत्ता के साथ काफी खिलवाड़ किया गया है। वन विभाग ने 3.70 करोड़ की लागत से राज्य के पहले ग्लास ब्रिज का निर्माण किया है। इन कामों में ब्रिज के साथ टिकट विंडो और चबूतरे के साथ-साथ सौंदर्यीकरण का काम भी शामिल है।
जिला पंचायत सदस्य ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग
जिला पंचायत सदस्य मीरा भारती ने ब्रिज के उच्चस्तरीय जांच की जाने की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘कई स्थानों पर दरारें पड़ी हैं। यदि बारिश और हुई तो ग्लास ब्रिज गिर सकता है। कार्यां की उच्चस्तरीय जांच की जाए’। रानीपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र के उपनिदेशक एनके सिंह ने जानकारी दी कि यह ब्रिज अभी हैंडओवर नहीं हुआ है। ब्रिज में कुछ काम करना बाकी है। निर्माण एजेंसी को कई अधूरे काम को पूरा कराने को कह दिया गया है।